चीन में कोरोना वायरस काबू में है फिर भी कोरोना से मरने वालों का आँकड़ा गुरुवार को जहाँ 3342 था वह शुक्रवार को बढ़कर 4636 हो गया। यानी एक दिन में ही यह आँकड़ा क़रीब 40 फ़ीसदी बढ़ गया। मौत का बढ़ा हुआ यह आँकड़ा भले ही एक दिन में बढ़ा हुआ दिख रहा हो, लेकिन ये मौतें एक दिन में हुई नहीं हैं। दरअसल, चीन ने कोरोना से मौत होने के इस आँकड़े को संशोधित किया है। यानी इन लोगों की मौतें तो पहले ही हुई थीं, लेकिन इनकी मौत के आँकड़े कोरोना वायरस से होने वाली मौत के आँकड़े में शामिल नहीं थे। कोरोना वायरस से जुड़े आँकड़े छुपाए जाने के संदेह के बीच चीन ने यह संशोधित आँकड़े जारी किए हैं। तो सवाल है कि क्या चीन में आँकड़े छुपाए जाने के संदेह अकारण नहीं हैं?
चीन की सरकारी न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ ने शुक्रवार को यह ख़बर दी है। इसके अनुसार आँकड़े संशोधित किए जाने से ये मौत के मामले बढ़े हुए दिख रहे हैं। इसमें से क़रीब 1300 मौत के आँकड़े तो हुएई प्रांत के उस वुहान शहर के हैं जो चीन में इस महामारी का केंद्र था। वुहान ही वह शहर है जहाँ से कोरोना वायरस का पहला मामला आया था। ताज़ा आँकड़ों में मृतकों के अलावा पॉजिटिव पाए गए लोगों की संख्या में भी संशोधन किया गया है और इसमें 325 की बढ़ोतरी की गई है। 16 अप्रैल को वुहान में संक्रमितों की संख्या बढ़ाकर 50333 कर दी गई है वहीं मृतकों की संख्या 1290 बढ़ाकर 3869 कर दी गई है।
चीन द्वारा जारी किए गए संशोधित आँकड़ों से अब इस पर सवाल उठ सकते हैं कि दुनिया के कई देश चीन के आँकड़ों पर जो संदेह जता रहे थे क्या वे सही थे?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तो खुलकर चीन पर जानकारी छुपाने का आरोप लगाते रहे हैं। ट्रंप आरोप लगाते रहे हैं कि चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी छुपाई और डब्ल्यूएचओ इसमें उसका साथ देता रहा। इसके बाद ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से दी जानी वाली फंडिंग रोक दी है। फ़िलहाल डब्ल्यूएचओ को पैसे देने वालों में अमेरिका सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। 2019 में ही इसने 400 मिलियन डॉलर दिया था जो डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का क़रीब 15 फ़ीसदी था। बता दें कि सात अप्रैल को ही ट्रंप ने ट्वीट कर डब्ल्यूएचओ को फंडिंग रोकने की धमकी दी थी। ट्रंप ने सीधे शब्दों में डब्ल्यूएचओ को चीन के प्रति पक्षपाती क़रार दिया था।
दुनिया के कई देश चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन द्वारा जनवरी से ही जारी किए जा रहे आँकड़ों पर संदेह जताते रहे हैं, लेकिन चीन इनको खारिज करता रहा है।
अब जो संशोधित आँकड़े जारी किए गए हैं उसके संदर्भ में चीन ने चार कारण गिनाए हैं।
- चीन के अधिकारियों ने कहा है कि जब शुरुआती दौर में कोरोना वायरस काफ़ी तेज़ी से फैल रहा था तो मेडिकल सुविधाएँ कम पड़ गई थीं और सभी लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जगह नहीं थी। हॉस्पिटल में इलाज के बिना ही कुछ लोगों की घरों पर ही मौत हो गई थी।
- अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मी मरीज़ों के इलाज और उनकी जान बचाने में व्यस्त थे इसलिए कोरोना के आँकड़ों को आने में देरी हुई।
- अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार, तेज़ी से फैलते कोरोना वायरस के लिए तेज़ी से हॉस्पिटलों को जोड़ा गया, इसमें ज़िला स्तर के हॉस्पिटल, निजी हॉस्पिटलों और तुरंत में तैयार किए गए हॉस्पिटलों को जोड़ा गया था। कुछ हॉस्पिटल नेटवर्क से जुड़े नहीं थे और इसलिए वे समय पर डाटा नहीं दे सके थे।
- चीन के अधिकारियों ने कहा है कि कुछ कोरोना मृतकों की जानकारी अधूरी दर्ज थी और कई मामलों में एक जानकारी को दोहराई गई थी व उनमें खामियाँ थीं।
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