जहाँ से कोरोना वायरस का पहला मामला आया था वहाँ अब तबाही मचा रहा है। क़रीब तीन साल पहले चीन के वुहान में तेजी से संक्रमण फैला था, लेकिन तब उसे सख्ती से नियंत्रित कर लिया गया था। अब लगता है कि चीन में यह अनियंत्रित हो गया है।
पिछले कुछ महीनों से चीन में मामले बढ़ने शुरू हुए तो सरकार ने सख्त लॉकडाउन व अन्य पाबंदियाँ लगाईं। लेकिन जैसे ही इसने उसमें ढील दी, ज़ीरो कोविड नीति में ढील दी तो संक्रमण बेतहाशा बढ़ा। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं और श्मशान और कब्रिस्तान में शवों की तादाद काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है। महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग का कहना है कि चीन में अस्पताल पूरी तरह से चरमरा गए हैं। उन्होंने अस्पताल का एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि मरीजों के लिए बेड कम पड़ गए हैं।
⚠️THERMONUCLEAR BAD—Hospitals completely overwhelmed in China ever since restrictions dropped. Epidemiologist estimate >60% of 🇨🇳 & 10% of Earth’s population likely infected over next 90 days. Deaths likely in the millions—plural. This is just the start—🧵pic.twitter.com/VAEvF0ALg9
— Eric Feigl-Ding (@DrEricDing) December 19, 2022
महामारी विज्ञानी का अनुमान है कि अगले 90 दिनों में चीन की 60 प्रतिशत से अधिक और पूरी दुनिया की 10 प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने और लाखों लोगों की मौत होने की आशंका है।
चीन महामारी के अपने सबसे ख़राब प्रकोप से गुजर रहा है। इसमें अब लाखों लोग संक्रमित हैं और बड़ी संख्या में लोगों के कोरोना से संक्रमित होने का ख़तरा है।
कई चीनी शहरों में अस्पताल रोगियों से भरे हुए हैं और मुर्दाघर उन लोगों के शवों से भरे हुए हैं, जिन्होंने इस बीमारी से दम तोड़ दिया। हालाँकि अभी तक अस्पताल में भर्ती मरीजों पर चीनी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग का कहना है जैसा कि कुछ गणितीय मॉडल की भविष्यवाणी है, चीन में संक्रमण की कुल संख्या 800 मिलियन तक हो सकती है और अगले तीन महीनों में 0.5-2 मिलियन मौतें हो सकती हैं।
फीगल-डिंग के अनुसार, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का लक्ष्य है 'जो भी संक्रमित हो सकते हैं, संक्रमित होने दें, जो मर सकते हैं, उन्हें मरने दें। जल्दी संक्रमण, शुरुआती मौतें, जल्दी पीक यानी शिखर, प्रोडक्श की जल्द बहाली।'
पहली बार यह वायरस चीन में ही आया था। इसके वुहान शहर में 2019 के दिसंबर महीने में आया था तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का कहना था कि यह एक नया वायरस है। चीन के हुएई प्रांत के वुहान शहर में न्यूमोनिया के कई केस आने के बारे में डब्ल्यूएचओ को 31 दिसंबर 2019 को जानकारी दी गई थी। यह वायरस अलग तरह का वायरस था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार क़रीब एक हफ़्ते बाद 7 जनवरी को उसे बताया गया कि चीन के अधिकारियों ने एक नये वायरस की पहचान की। यह नया वायरस कोरोना वायरस था।
इसके बाद वुहान शहर कोरोना का केंद्र बन गया था। लेकिन मार्च-अप्रैल आते-आते वहाँ यह वायरस पूरी तरह नियंत्रण में हो गया था। चीन ने उस वायरस को अन्य शहरों में फैलने नहीं दिया। लेकिन दुनिया के दूसरे शहर इसकी गंभीर चपेट में आए। पूरे यूरोप से लेकर, एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया महादेश इसकी चपेट में आए। पूरी दुनिया में अब तक 65 करोड़ से ज़्यादा लोग इस संक्रमण का शिकार हुए और 66 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग ने चेताया है कि पूरी दुनिया में यह महामारी फिर फैलेगी तो क्या सच में इसका ख़तरा बढ़ गया है?
कई देशों में संक्रमण के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी दिख भी रही है। पूरी दुनिया में हर रोज़ करीब 3 लाख केस आ रहे हैं। जापान में हर रोज़ 70 हज़ार से ज़्यादा केस आ रहे हैं। जर्मनी में 55 हज़ार, ब्राज़ील में 29 हज़ार, दक्षिण कोरिया में 26 हज़ार, अमेरिका में 20 हज़ार, हांगकांग में 15 हज़ार और ताइवान, चीली, रोमानिया, ऑस्ट्रिया जैसे देशों में भी हजारों केस आ रहे हैं। हालाँकि भारत में संक्रमण के मामले सैकड़ों में ही आ रहे हैं।
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