रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सोमवार को ब्राज़ील की राजधानी पहुँचे हैं। कहा जा रहा है कि उनके वहाँ जाने का एक ख़ास मक़सद है। दरअसल, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा ने यूक्रेन में शांति के लिए एक राजनयिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया है। लूला के इस दृष्टिकोण पर विवाद है। रूस तो इसका समर्थन कर रहा है, लेकिन यूक्रेन और अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश इसका विरोध कर रहे हैं।
समझा जाता है कि लूला की योजना है कि वैसे कुछ देशों का एक क्लब बनाया जाए जो कथित तौर पर पक्षपाती नहीं हैं। इसी योजना के तहत लूला ने हाल में चीन की यात्रा भी की थी। एक सीक्रेट दस्तावेज से भी इसकी पुष्टि होती है। न्यूज़ एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 50 लीक हुए क्लासिफाइड दस्तावेजों में से एक में कहा गया है कि फरवरी के अंत तक रूस के विदेश मंत्रालय ने लूला की 'निष्पक्ष' मध्यस्थों का एक क्लब स्थापित करने की योजना का समर्थन किया, क्योंकि यह पश्चिम के 'हमलावर-पीड़ित' फॉर्मूला को खारिज करेगा।
ब्राज़ील की मध्यस्थता की इन कोशिशों को रूस के क़रीब जाने के तौर पर देखा जा रहा है। यही वजह है कि पश्चिम देशों ने उस रवैये को खारिज किया है और तीखी प्रतिक्रिया भी दी है।
लूला ने पिछले हफ़्ते चीन की यात्रा के बाद कहा था कि अमेरिका को यूक्रेन में शांति के बारे में बात करनी चाहिए। संघर्ष को ख़त्म करने के लिए शांति वार्ता के लिए खुद को एक मध्यस्थ के रूप में पेश करने वाले लूला ने कहा था कि 'संयुक्त राज्य अमेरिका को युद्ध को प्रोत्साहित करना बंद करने और शांति के बारे में बात करना शुरू करने की ज़रूरत है'।
व्हाइट हाउस ने यूक्रेन में युद्ध को 'प्रोत्साहित' करने का संयुक्त राज्य अमेरिका पर आरोप लगाने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की तीखी आलोचना की है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने लूला पर 'रूसी और चीनी प्रोपेगेंडा का प्रसार' करने का आरोप लगाया। किर्बी ने कहा कि लूला की टिप्पणियाँ 'बस गुमराह करने वाली' थीं।
इसी बीच अब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ब्राजील का दौरा किया है, लूला से मुलाकात की है और ब्राजील को उसके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
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ऐसे में सवाल है कि आख़िर ब्रज़ील का वास्तविक रुख यूक्रेन-रूस पर अब तक कैसा रहा है? ब्राजील रूस पर प्रतिबंध लगाने में पश्चिमी देशों में शामिल नहीं हुआ है और उसने यूक्रेन को गोला-बारूद की आपूर्ति के अनुरोध को ठुकरा दिया है।
रूस ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर पूर्ण आक्रमण किया था। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने तब से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
जबकि ब्राजील शांति वार्ता के लिए आह्वान कर रहा है, यूक्रेन और उसके सहयोगियों का कहना है कि एक तत्काल युद्धविराम रूस को अवैध रूप से बल के माध्यम से पाए क्षेत्र पर कब्जा करने की अनुमति देगा। यही वजह है कि अब ब्राजील के रवैये से यूक्रेन और पश्चिमी देश भी परेशान हैं।
वैसे, ब्राज़ील के रुख को समझना है तो उसके कई फ़ैसलों में देखा जा सकता है कि वह किस तरह से यूक्रेन-रूस के बीच शांति कराना चाहता है। रूसी विदेश मंत्री लावरोव और उनके ब्राजीलियाई समकक्ष मौरो विएरा के बीच बैठक मार्च में निर्धारित की गई थी, जब उन्होंने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक की थी।
लूला ने शांति की मध्यस्थता के लिए ब्राजील और चीन जैसे राष्ट्रों के एक क्लब का प्रस्ताव करते हुए यूक्रेन को हथियार देने से इनकार कर दिया है। एपी की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को उन्होंने अबू धाबी में संवाददाताओं से कहा था कि रूस और यूक्रेन - दोनों ने युद्ध में जाने का फैसला किया था। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने सुझाव दिया था कि यूक्रेन युद्ध को ख़त्म करने के लिए क्रीमिया को सौंप सकता है, जिसे यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, 'क्या आप ब्राजील के एक क्रीमिया-आकार के हिस्से की पेशकश करेंगे... केवल शांति के लिए? फिर हम बात करेंगे!'
जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के अनुरोध के बावजूद लूला ने 'शत्रुता को ख़त्म करने' के लिए यूक्रेन को हथियार की आपूर्ति रोके रखा है। उन्होंने कहा है कि आपूर्ति भेजने का मतलब ब्राजील का युद्ध में प्रवेश करना होगा, जिसे वह ख़त्म करना चाहते हैं। मॉस्को में लूला की इस स्थिति की स्पष्ट रूप से सराहना की गई है।
इस बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को ब्राजील की यात्रा के दौरान कहा कि मास्को चाहता है कि यूक्रेन में संघर्ष जल्द से जल्द समाप्त हो। अपने ब्राजीलियाई समकक्ष माउरो विएरा के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में लावरोव ने यूक्रेन में स्थिति की उत्पत्ति की समझ के लिए ब्राजील को धन्यवाद दिया और कहा कि रूस को जल्द से जल्द संघर्ष समाप्त करने में रुचि है।
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रूस का कहना है कि उसे पिछले साल फरवरी में यूक्रेन में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया गया था ताकि रूसी बोलने वालों को उत्पीड़न से बचाया जा सके और रूस की सुरक्षा को ख़तरे में डालने के लिए पश्चिम को यूक्रेन का इस्तेमाल करने से रोका जा सके।
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