चीफ जस्टिस ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर में पत्रकारों को बुलाया और उनसे कहा कि उन्होंने हालात के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट और निचली अदालतों के जजों की सुरक्षा को देखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, "इस्तीफे के लिए कुछ औपचारिकताएं हैं। उन्हें पूरा करके मैं आज (शनिवार) शाम तक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपना इस्तीफा भेज दूंगा।"
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने जजों के इस्तीफे की मांग करते हुए कोमिला में सुबह 10 बजे से अदालत के गेट पर धरना दे रखा है। कोमिला यूनिवर्सिटी यूनिट के समन्वयक छात्र नेता मोहम्मद साकिब हुसैन ने कहा, "सोमवार को बंगाल की दूसरी आजादी के बाद से हम विभिन्न नाटक देख रहे हैं। देश के लोग भी इन नाटकों को देख रहे हैं और महसूस कर रहे हैं कि एक समूह फिर से देश के खिलाफ साजिश रच रहा है।"
छात्र नेता ने कहा, ''वे इसी देश में रहकर यह साजिश रच रहे हैं। हमने उनकी पहचान कर ली है। इन साजिशकर्ताओं में कुछ लोगों की पहचान की गई है. इसलिए, हम चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन और अन्य जजों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हम तब तक मैदान पर रहेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।''
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेताओं को आशंका है कि न्यायपालिका से अंतरिम सरकार को अवैध घोषित करने और शेख हसीना की वापसी का रास्ता खुल सकता है। इसलिए चीफ जस्टिस और बाकी जजों से इस्तीफा मांगा गया है। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश ने शुरू में सुबह 10:30 बजे पूर्ण अदालत की बैठक बुलाई थी, जिसमें चर्चा होनी थी कि वर्तमान परिस्थितियों और विभिन्न अन्य मुद्दों पर अदालत कैसे काम कर सकती है। लेकिन जब छात्रों और प्रदर्शनकारियों ने दबाव बनाया तो चीफ जस्टिस ने बैठक को स्थगित कर दिया।
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