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ईरान के सुप्रीम लीडर सैयद अली खामनेई और इसराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू

त्वरित विश्लेषणः इसराइल युद्ध चाहता है लेकिन बड़े युद्ध के लिए तैयार नहीं

इसराइल युद्ध चाहता है, लेकिन ईरान के साथ 'बड़े युद्ध' के लिए तैयार नहीं है। ऐसा विश्लेषक मानते हैं। तेहरान यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर फोआद इज़ादी ने अल जजीरा को बताया कि इसराइल अभी ईरान के साथ बड़े पैमाने पर युद्ध के लिए तैयार नहीं है। इजादी ने कहा, "मुझे लगता है कि इसराइल ईरान के खिलाफ एक बड़े युद्ध की योजना बना रहा हैं, लेकिन इस समय नहीं। 
उन्होंने कहा- याद रखें कि लेबनान के साथ क्या हुआ था। उन्होंने पहले गजा में नरसंहार शुरू किया। उन्होंने इसे जारी रखा और गजा नरसंहार के 11 महीने बाद उन्होंने लेबनान पर हमला करना शुरू कर दिया। इसराइल ऐसा एक साल या दो साल बाद कर सकता हैं। ऐसा लगता है कि इसराइली लगातार युद्ध में रहना चाहते हैं।

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अल जजीरा के मुताबिक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के ईरान प्रोजेक्ट डायरेक्टर अली वेज़ का कहना है कि ईरान पर इसराइल का हमला अब तक इसकी संभावनाओं के "मिड रेंज" में लगता है। हमले अप्रैल में ईरान के पिछले हमले की प्रतिक्रिया की तुलना में काफी अधिक मजबूत थे, लेकिन प्रमुख बुनियादी ढांचे या परमाणु सुविधाओं को टारगेट करने तक नहीं जा रहे थे। 

वेज़ ने कहा, "अब सवाल सबसे पहले यह है, क्या यह इसकी प्रतिक्रिया का पूरा दायरा है, और दूसरा, क्या तेहरान इस हमले को नजरन्दाज करेगा और इस आदान-प्रदान के तहत एक लाइन खींचने की कोशिश करेगा या जवाबी प्रतिक्रिया के साथ फिर से आगे बढ़ेगा। यह देखते हुए कि ईरान के पास अब अपनी प्रतिक्रिया के लिए कई विकल्प हैं,लेकिन हर विकल्प में बड़े जोखिम हैं।"
वेज़ ने कहा, ईरान अब इसराइल के खिलाफ हमले शुरू कर सकता है और एक संभावित बड़े प्रतिशोध का सामना कर सकता है, या वह अपने प्रॉक्सी संगठनों (हिजबुल्लाह, हूती, हमास, अल कासम, रजिसटेंस फोर्स) के माध्यम से हमला करा सकता है जो हाल के हफ्तों में काफी कमजोर हो गए हैं। उन्होंने कहा, दूसरा विकल्प क्षेत्र में कहीं और अमेरिकी हितों को निशाना बनाना हो सकता है। लेकिन तब इसका सामना न केवल इसराइल, बल्कि अमेरिका से भी होगा। 
गजा पर युद्ध की शुरुआत के बाद से, अमेरिका ने इस क्षेत्र में उन्नत अमेरिकी वायु रक्षा प्रणालियों और विमानों सहित सैन्य उपकरण तैनात किए हैं। वेज़ ने कहा, इसराइल के शनिवार के हमले के "दो उद्देश्य थे: ईरानियों को प्रतिक्रिया देने से रोकना। ये हमला इसराइल के अपने बचाव के लिए भी था। क्योंकि उस पर ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइल से हमला किया था।
मिडिल ईस्ट संस्थान के एक राजनीतिक विश्लेषक हसन मनीमनेह ने अल जज़ीरा को बताया है कि भले ही ईरान पर इसराइल के हमले की उम्मीद थी, लेकिन हमले की लिमिट क्या है और क्या और भी हमले होंगे, यह देखा जाना बाकी है। मुझे लगता है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह हमला है। हम शायद और भी बहुत कुछ अभी देखेंगे। 
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उन्होंने कहा, जाहिर तौर पर, यह नेतन्याहू के हित में है कि वे और अधिक की तलाश करें, सिर्फ अपनी छवि के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि यह वास्तव में उनके लिए अवसर का क्षण है, ठीक उसी तरह जैसे आज अमेरिकी प्रशासन इसराइल के खिलाफ सचमुच सबसे कमजोर स्थिति में है। अमेरिका ने "पिछले वर्ष में ताकत का कोई संकेत नहीं दिखाया और उसने बिल्कुल उसी स्क्रिप्ट का पालन किया है जिसका नेतन्याहू उससे पालन कराना चाहते थे। उन्होंने कहा- लेकिन अगर वास्तव में इरादा ईरान के साथ इसराइल के युद्ध में अमेरिका को घसीटने का था। यही इसका क्षण है। देखना है कि अमेरिका इस युद्ध में कूदता है या नहीं।
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क़मर वहीद नक़वी
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