साल 2024 राजनीतिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण है। इस साल 18वीं लोकसभा का चुनाव संपन्न हुआ। चुनाव नतीजों ने एक बात पर मजबूती से मुहर लगाई है कि संविधान बदलने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोकसभा चुनाव से लेकर हरियाणा, जम्मू कश्मीर और झारखंड, महाराष्ट्र में भी विपक्षी इंडिया गठबंधन और खासकर राहुल गांधी लगातार संविधान के मुद्दे पर मुखर हैं। राहुल गांधी संविधान पर अब एक नया विमर्श खड़ा कर रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा संविधान सम्मान सम्मेलन की पिछली दो सभाओं के भाषणों पर गौर करें तो एक बात स्पष्ट नजर आती है कि संविधान में निहित ऐतिहासिक विरासत, पूर्व धारणाओं तथा मूल्यों पर वह जोर दे रहे हैं।
भाजपा-संघ की मनुवादी सत्ता और राहुल गांधी के संविधानवाद को समझना जरूरी क्यों
- विश्लेषण
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- 26 Oct, 2024

देश में आरएसएस-भाजपा की मनुवादी सत्ता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के संविधान सम्मत सत्ता के बीच संघर्ष तेज हो रहा है। अगर इसे देश के लोगों ने ठीक से नहीं समझा तो देश में ब्राह्मणवादी सत्ता का दौर लौट आयेगा। पिछले दस वर्षों में आरएसएस लगातार उसी ब्राह्मणवादी सत्ता के लिए रास्ता बनाने में जुटा हुआ है। विश्लेषक रविकान्त बता रहे हैं कि राहुल गांधी के हाल के भाषणों से इस बात को समझा जा सकता है कि संविधान बचाने की लड़ाई को लड़ा जाना जरूरी है। सत्ता प्राप्त लक्ष्य नहीं है, अंबेडकर के संविधान को बचाना जरूरी है। जरूरी लेखः
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।