अब यह साफ होता जा रहा है कि तालिबान ने नरमपंथ और उदारवाद का सिर्फ मुखौटा लगा रखा था, उसकी नीतियाँ नहीं बदली हैं और न ही उसकी कार्यशैली।
अफ़ग़ानिस्तान में फिर शुरू होगी सज़ाए मौत, पत्थर मार- मार कर हत्या
- दुनिया
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- 24 Sep, 2021
अफ़ग़ानिस्तान के जेल विभाग के मंत्री ने कहा दिया है कि एक बार फिर शरीआ क़ानून लागू किए जाएंगे, जिनमें सज़ाए मौत भी शामिल होगी।

यह भी स्पष्ट है कि 1996-2001 के मुल्ला उमर के तालिबान से मुल्ला बरादर का अगला दौर शायद बहुत अलग न हो।
इसे इससे समझा जा सकता है कि तालिबान ने इसके संकेत दे दिए हैं कि सज़ाए मौत और हाथ-पैर काटने की सज़ा एक बार फिर शुरू की जा सकती है।