तालिबान भले ही लोगों को यह आश्वस्त करने की कोशिश करे कि वे 'नया तालिबान' हैं, किसी को उनसे डरने की ज़रूरत नहीं है, पर सच यह है कि उनके लड़ाकों ने ज़मीनी स्तर पर दमनकारी रुख अख़्तियार कर रखा है।
'अल जज़ीरा' के अनुसार, देश के पूर्वी शहर जलालाबाद में तालिबान के लड़ाकों ने आम नागरिकों पर गोलियाँ चलाई हैं, जिसमें कम से कम तीन लोग मारे गए हैं और तकरीबन एक दर्जन लोग घायल हो गए हैं।
राष्ट्रीय झंडा हटाने पर विवाद
विवाद की शुरुआत इससे हुई कि तालिबान लड़ाकों ने शहर के बीचोबीच स्थित चौक पर लगा अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा उतार दिया और उसकी जगह अपना झंडा लगा दिया।
स्थानीय लोग बड़ी तादाद में इसके ख़िलाफ़ सड़क पर उतर आए, प्रदर्शन किया, तालिबान के ख़िलाफ़ नारे लगाए।
तालिबान के लड़ाकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आम नागरिकों पर गोलियाँ चलाईं। इसमें तीन लोग मारे गए और एक दर्जन से ज़्यादा ज़ख़्मी हो गए।
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महिलाओं का प्रदर्शन
तालिबान के ख़िलाफ़ आम जनता कई जगहों पर सड़कों पर उतर रही है। मंगलवार को काबुल में कुछ महिलाएं हाथों में प्लेकार्ड लेकर सड़क पर आ गईं और तालिबान लड़ाकों के सामने ही प्रदर्शन करने लगीं, नारे लगाने लगीं।
These brave women took to the streets in Kabul to protest against Taliban. They simplify asking for their rights, the right to work, the right for education and the right to political participation.The right to live in a safe society. I hope more women and men join them. pic.twitter.com/pK7OnF2wm2
— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) August 17, 2021
काबुल पर कब्जे के बाद हुए महिलाओं के इस प्रदर्शन के बारे में ईरानी पत्रकार और एक्टिविस्ट मसीह अलीनेजाद ने ट्वीट किया है, 'ये बहादुर महिलाएँ तालिबान के विरोध में काबुल में सड़कों पर उतरीं।
वे सीधा-साधे अपने अधिकार, काम का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और राजनीतिक भागीदारी का अधिकार मांग रही हैं। एक सुरक्षित समाज में रहने का अधिकार। मुझे आशा है कि अधिक महिलाएँ और पुरुष उनके साथ जुड़ेंगे।'
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शिया हज़ारा नेता की मूर्ति तोड़ी
एक ताज़ा घटनाक्रम में तालिबान लड़ाकों ने मशहूर शिया हज़ारा नेता अब्दुल अली हज़ारा की मूर्ति तोड़ दी है।
अब्दुल अली हज़ारा समुदाय के बहुत ही प्रतिष्ठित नेता थे, तालिबान ने 1995 में उनका अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी। उसके बाद बामियान में उनकी मूर्ति स्थापित की गई थी।
तालिबान लड़ाकों ने मंगलवार को उनकी मूर्ति तोड़ दी।
हज़ारा अफ़ग़ानिस्तान का अल्पसंख्यक क़बीला है, जिसके लोग इसलाम के शिया संप्रदाय को मानते हैं। हज़ारा जनजाति पर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में कई बार हमले हो चुके हैं।
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