ऐसे समय जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान लड़ाकों और अफ़ग़ान सेना के बीच ज़बरदस्त लड़ाई चल रही है, बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया है।
महिलाओं व बच्चों समेत सैकड़ों नागरिक मारे गए हैं, लगभग ढ़ाई लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़ कर भागना पड़ा है।
सहायता एजेन्सियाँ प्रभावित लोगों तक नहीं पहुँच पा रही हैं, संयुक्त राष्ट्र की अपीलों का कोई असर नहीं पड़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय तमाशबीन बना हुआ है।
सड़क पर लाश!
हालत इतने खराब हो चुके हैं कि हेलमंद की राजधानी लश्कर गाह में सड़कों पर लाशें पड़ी मिलीं, जिनमें कई नागरिकों की लाशें थीं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेन्सी 'रॉयटर्स' ने हेरात ज़ोनल हॉस्पिटल के प्रमुख आरिफ़ जलाली के हवाले से कहा है कि बीते 11 दिनों की लड़ाई में उस प्रांत में 36 लोग मारे गए हैं और 220 लोग जख़्मी हो गए।
इनमें नागरिकों की बड़ी तादाद हैं, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं।
महिलाएं-बच्चे शिकार
बच्चों से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनिसेफ़ ने पत्रकारों को सोमवार को बताया कि तालिबान-अफ़ग़ान सेना लड़ाई में पिछले 72 घंटों में दक्षिण कांधार में 20 बच्चे मारे गए और 130 घायल हो गए।
यूनिसेफ़ की अफ़ग़ानिस्तान स्थित प्रतिनिधि हर्वे लुडोविच डे लिस ने 'रॉयटर्स' से कहा, "इस तरह के अत्याचार रोज़ाना बढ़ते ही जा रहे हैं।"
कुंदूज़ पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद सैकड़ों लोग अपने घरों से निकल आए और वहाँ से 315 किलोमीटर दूर राजधानी काबुल की ओर बढ़ने लगे। इनमें गर्भवती महिलाएं व छोटे-छोटे बच्चे भी हैं।
यह काफ़िला बड़ा होता जा रहा है और सैकड़ों भूखे प्यासे लोग पैदल ही काबुल की ओर बढ़ रहे हैं।
सैकड़ों सड़क पर
पेशे से इंजीनियर ग़ुलाम रसूल भी अपने पूरे परिवार के साथ पैदल ही काबुल जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम किसी तरह काबुल पहुँच जाना चाहते हैं क्योंकि यहाँ सुरक्षित नहीं हैं, पर पता नहीं कि पहुँच पाएंगे या रास्ते में ही मारे जाएंगे।"
काबुल की स्थिति खराब है। वहाँ रोज़ाना इस तरह के जत्थे पहुँच रहे हैं, जिनमें महिलाओं व बच्चों समेत सैकड़ों लोग होते हैं। राजधानी में अफरातफरी और अनिश्चितता का माहौल है।
हालत नाजुक
काबुल में तालिबान-अफ़ग़ान सेना में लड़ाई नहीं चल रही है, पर बीते हफ़्ते सबसे सुरक्षित ग्रीन ज़ोन स्थित रक्षा मंत्री के घर पर जिस तरह आत्मघाती हमला हुआ और आठ लोग मारे गए, उससे लोग दहशत में हैं।
तालिबान ने निमरोज़, सर-ए-पुल, ताखर, हेलमंद, कुंदूज और अयबाक प्रांतों की राजधानियों पर क़ब़्जा कर लिया है। वे कांधार और हेरात में कई जगहों पर पकड़ बना चुके हैं।
ऐसे में स्थिति बहुत ही चिंताजनक है।
क्या कहना है यूएनएचसीआर का?
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेन्सी यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फ़ॉर रिफ़्यूज़ीज़ यानी यूएनएचसीआर ने चेतावनी दी है कि अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाई के और तेज़ होने से बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो सकता है।
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अफ़ग़ानिस्तान में जनवरी 2021 से अब तक 2,70,00 लोग बेघर हो चुके हैं। इस देश में अब तक 35 लाख आंतरिक शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं।
यूएनएचसीआर के बयान का अंश
यूएनएचसीआर के अनुसार, "साल 2020 में जितने नागिरक मारे गए थे, मौजूदा संघर्ष में उससे 29 प्रतिशत अधिक मारे जा चुके हैं। आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगो को तुरन्त आश्रय, भोजन, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, और सैनिटरी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र एजेन्सी ने यह भी कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान के 20 लाख से अधिक लोग ईरान और पाकिस्तान में शरणार्थी के रूप में रहने को मजबूर हैं।"
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