प्रेस की आज़ादी पहले से ही ख़तरे में है । अब मोदी सरकार एक नया नियम बनाने जा रही है जिसका ड्राफ़्ट सामने आया है । सरकारी एजेंसी को अधिकार दिया जायेगा कि वो तय करे कि फेक न्यूज़ क्या है और फिर सोशल मीडिया के लिये ऐसी खबर को हटाना अनिवार्य होगा । एडिटर्स गिल्ड के मुताबिक़ ये सेंसरशिप लगाने की तैयारी है । क्या वाकई देश में स्वतंत्र प्रेस पूरी तरह खतम करने की तैयारी चल रही है ?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।