माघ का महीना। साजन मिश्र का स्वर। राग सोहिनी। बसंत का आगाज। जैसे नव जीवन का आयोजन कुंभ, प्रयाग से उठकर दिल्ली आ गया। साजन मिश्र और उनके बेटे स्वरांश मिश्र ने ‘आई ऋतु नवेली खेलो बसंत’ को इसी राग में पिरोये अपने सुरों में साधा तो दिल्ली के कमानी सभागार में बसंत की लहरों का एहसास होने लगा। त्रिवेणी संगम की तरह तबला पर उनके साथ संगत किया पंडित विनोद लेले  ने। अवसर था मशहूर गायक पंडित सी आर व्यास जन्म शताब्दी समारोह का। सी आर व्यास ने शास्त्रीय गायन को एक नयी पहचान दी थी। साजन मिश्र शास्त्रीय संगीत की उसी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं।