तीन साल बाद दिल्ली में लगे अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में उमड़ी भीड़ बताती है कि पढ़ने की आदत भले कम हुई है, किताबों के प्रति लोगों का आकर्षण कम नहीं हुआ है। वे अब भी किताबों को देखना, छूना, ख़रीदना, समय मिले तो पढ़ना और अपनी आलमारियों में रखना चाहते हैं। यह जो अंदेशा जताया जा रहा है कि किताबें पुराने दौर की चीज़ होती जा रही हैं, कि अब उनके बहुत सारे विकल्प आ चुके हैं, कि नई पीढ़ी किताबें पढ़ने के मुक़ाबले यूट्यूब देखना और ऑनलाइन पढ़ाई करना ज़्यादा पसंद करती है, एक हद तक सच होते हुए भी बिल्कुल अंतिम नहीं है।