नैनीताल के रामगढ़ में बरसात तो दो ही दिन से हो रही थी इसलिए ज्यादा चिंता भी नहीं थी। बीते जून में ही छह दिन की बरसात हो चुकी थी जिसका कोई ज्यादा असर भी नहीं पड़ा था। 17 अक्टूबर से बरसात शुरू हुई। यह बरसात 18 अक्टूबर को और तेज हो गई तो चिंता हुई। हमें 19 अक्टूबर की सुबह लखनऊ निकलना था।
उत्तराखंड: दरकते पहाड़ और तूफान के वे दो दिन
- उत्तराखंड
- |
- |
- 27 Oct, 2021

भयंकर बारिश ने इस बार उत्तराखंड में बहुत नुक़सान किया है। बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
दोपहर में टैक्सी ड्राइवर अतीक को फोन किया तो वह काठगोदाम से आगे रास्ते में था, हमने कहा, “बरसात बहुत ज्यादा हो रही है इसलिए आज शाम को ही रामगढ़ आ जाओ काठगोदाम चले जाएंगे।” पर अतीक का जवाब था, “सर चिंता न करें सुबह आठ बजे आपके दरवाजे पर रहूंगा।” हमने कहा, “ठीक है।”
मन आशंकित था क्योंकि केदारनाथ हादसे के समय भी हम यहीं थे और भारी तूफान आया था। दोपहर की ट्रेन थी और कोई गाड़ी काठगोदाम जाने के लिए तैयार नहीं थी।