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प्रयागराज में छात्र प्रदर्शन के बाद पीछे हटी सरकार, लेकिन तकरार बरकरार

यूपी में पीसीएस और आरओ व एआरओ की परीक्षा को शिफ़्ट में कराने का छात्रों के विरोध पर योगी सरकार को अपना फ़ैसला वापस लेना पड़ा है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी ने गुरुवार को प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मांगों पर सहमति जताते हुए कहा कि वह एक ही दिन में प्रांतीय सिविल सेवा यानी पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करेगा। ऐसा करने के लिए पिछले कुछ दिनों से छात्रों का भारी दबाव था। वे लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और योगी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 

सरकार ने भले ही पीसीएस पर अपना फ़ैसला वापस ले लिया है, लेकिन आरओ और एआरओ की परीक्षा को शिफ़्ट में कराने पर अभी भी अपना फ़ैसला नहीं बदला है और इस वजह से छात्रों ने अपना प्रदर्शन वापस लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि पीसीएस और आरओ व एआरओ की परीक्षाएँ एक ही दिन व एक ही शिफ्ट में ली जाएँ। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मौखिक आश्वासन से वे प्रदर्शन ख़त्म नहीं करेंगे, बल्कि इसके लिए सरकार को आधिकारिक आदेश निकालना होगा।

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पीसीएस की परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो पालियों में होनी थी। आरओ यानी समीक्षा अधिकारी और एआरओ यानी सहायक समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को तीन पालियों में होनी थी और इसे स्थगित कर दिया गया है। यूपीपीएससी द्वारा रिपोर्ट दिए जाने के बाद आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए नई तिथि तय करने पर निर्णय लिया जाएगा।

यूपीपीएससी आयोग के सचिव अशोक कुमार ने प्रयागराज में छात्रों के सामने यह घोषणा की, जो पिछले चार दिनों से परीक्षा कार्यक्रम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

अशोक कुमार ने कहा, 'पिछले कुछ महीनों में देश के विभिन्न हिस्सों से प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें कुछ संस्थानों की संलिप्तता पाई गई है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने कई पालियों में पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों के साथ परीक्षा आयोजित करने की योजना बनाई थी।' 

उन्होंने आगे कहा, 'इसके तहत यूपीपीएससी ने दिसंबर में प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 और एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2023 को कई पालियों में आयोजित करने की घोषणा की। पिछले कुछ दिनों में कुछ छात्रों द्वारा उठाई गई मांग को मुख्यमंत्री ने संज्ञान में लिया। उन्होंने आयोग को छात्रों के साथ संवाद बनाए रखने और निर्णय लेने का निर्देश दिया। आयोग एक ही पाली में परीक्षा आयोजित करेगा।'

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मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि छात्रों के भारी प्रदर्शन और राज्य में उपचुनाव के मद्देनज़र विपक्षी दलों के भारी दबाव के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में यूपीपीएससी अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन पर संज्ञान लिया और यूपीपीएससी से प्रदर्शनकारी छात्रों से संवाद और समन्वय करके आवश्यक निर्णय लेने को कहा।

5 नवंबर को यूपीपीएससी ने घोषणा की थी कि आरओ-एआरओ और पीसीएस परीक्षाएं क्रमश: तीन और दो पालियों में होंगी। अलग-अलग तिथियों पर परीक्षा आयोजित करने के फैसले की बड़े पैमाने पर आलोचना हुई, जबकि अभ्यर्थियों ने तर्क दिया कि इससे अनावश्यक भ्रम और कठिनाई पैदा हुई। विपक्ष ने भी इस पर आपत्ति जताई और यूपीपीएससी के परीक्षा कार्यक्रम को लेकर भाजपा की आलोचना की।

यूपीपीएससी ने पहले तर्क दिया कहा था कि शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का फैसला अभ्यर्थियों के लाभ और परीक्षा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए लिया गया था।

आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा था कि वे केवल उन केंद्रों पर परीक्षा आयोजित करेंगे जहां अनियमितताओं की संभावना न हो। प्रवक्ता ने कहा था कि केवल बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या कोषागार के 10 किलोमीटर के दायरे में सरकारी या वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों को ही परीक्षा केंद्र के रूप में नामित किया जा रहा है, और जिनका संदेह या ब्लैकलिस्टिंग का कोई इतिहास नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि यही कारण है कि आयोग को शिफ्ट में परीक्षा का विकल्प चुनना पड़ा। 

प्रवक्ता ने यह भी कहा था कि परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए सामान्यीकरण प्रक्रिया का उपयोग किया जाएगा क्योंकि परीक्षाएं कई दिनों या शिफ्टों में आयोजित की जा रही हैं। पैनल ने कहा कि यह देश भर में आम तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और कई अदालती फैसलों द्वारा इसको समर्थन मिला है। 

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लेकिन छात्र इससे सहमत नहीं हुए और उन्होंने अपना आंदोलन तेज कर दिया। प्रयागराज में आयोग के कार्यालय के बाहर छात्र प्रदर्शन करते रहे। आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने आज एक रास्ता निकालने के लिए बैठक की और फिर यह ताज़ा घोषणा की कि पीसीएस की परीक्षा एक पाली में ही ली जाएगी। बताया जा रहा है कि यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद लिया गया।

छात्रों ने इस समाधान को खारिज कर दिया है। एनडीटीवी रिपोर्ट के अनुसार एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'सरकार हमें गुमराह कर रही है। हम तब तक यहां से नहीं हटेंगे जब तक वे यह घोषणा नहीं करते कि आरओ-एआरओ परीक्षा भी एक दिन, एक शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। हमारी दो मांगें हैं, उन्होंने एक मांग पूरी कर दी है।'

रिपोर्ट के अनुसार कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि अभी तक यह केवल मौखिक घोषणा है और वे तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करेंगे जब तक दोनों परीक्षाओं के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं हो जाती। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हम दोनों परीक्षाएं एक ही शिफ्ट में चाहते हैं। आप एक समिति क्यों बना रहे हैं? वे मूल रूप से प्रदर्शनकारियों को हटाना चाहते हैं। वे आंदोलन को कमजोर करना चाहते हैं, लेकिन हम यहां से नहीं हटेंगे।'

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क़मर वहीद नक़वी
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