कोरोना संक्रमण के बेहद ख़तरनाक दौर में भी अयोध्या में भूमि पूजन का कार्यक्रम कराने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने एक और बयान के कारण चर्चा में हैं।
भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत में यह सवाल पूछे जाने पर कि अयोध्या में बनने वाली मसजिद के शिलान्यास कार्यक्रम में अगर उन्हें बुलाया जाएगा तो क्या वह जाएंगे। इस पर योगी ने कहा, ‘अगर आप मुझसे मुख्यमंत्री के रूप में पूछेंगे तो मुझे किसी मत, मज़हब, संप्रदाय से कोई परहेज नहीं है। अगर आप एक योगी के रूप में पूछेंगे तो क़तई नहीं जाऊंगा, इसलिए नहीं जाऊंगा क्योंकि मैं एक हिंदू हूं।’
योगी ने आगे कहा, ‘एक हिंदू के रूप में मुझे अपनी उपासना विधि को व्यक्त करने और इसके अनुसार आचरण करने का पूरा अधिकार है।’
‘सेक्युलरिज्म ख़तरे में पड़ जाएगा’
भगवा वस्त्र धारण करने वाले योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘न मैं वहां वादी हूं ना, प्रतिवादी हूं। इसलिए न मुझे कोई वहां बुलाएगा और न मुझे वहां जाना है। मुझे इस प्रकार का कोई निमंत्रण नहीं मिलने वाला है, यह मैं भी जानता हूं। जिस दिन वे मुझे बुला लेंगे, बहुत सारे लोगों का सेक्युलरिज्म ख़तरे में पड़ जाएगा।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘जो हम रोजा इफ़्तार में जाकर टोपी पहनकर इस तरह का बर्ताव करते हैं, ये सेक्युलरिज्म नहीं है। ये जनता भी जानती है कि ये लोग ढोंग कर रहे हैं, जनता भी उनकी वास्तविकता पहचानती है।’
इक़बाल अंसारी से लें प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने अयोध्या विवाद मामले में पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी की तारीफ़ की। उन्होंने कहा, ‘ये जितने लोग मुसलिम वोट बैंक के सौदागर बैठे हुए हैं। इन लोगों ने कभी भी ईमानदारी से कोई लड़ाई नहीं लड़ी होगी, हां वैमनस्यता ज़रूर पैदा की होगी। इनको प्रेरणा लेनी चाहिए इक़बाल अंसारी से कि वह व्यक्ति ईमानदारी से लड़ता रहा और न्यायालय का फ़ैसला आया तो उसने फ़ैसले का स्वागत किया और राम मंदिर निर्माण के लिए हर प्रकार का सहयोग करने की बात कही।’
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘कांग्रेस इस मुद्दे का समाधान नहीं चाहती थी, वह चाहती थी कि विवाद बना रहे, इसी में उसे अपना हित दिखता था।’
मोदी जा चुके हैं मसजिद में
भले ही योगी आदित्यनाथ ने कहा हो कि वो हिंदू होने के नाते क़तई मसजिद के कार्यक्रम में नहीं जाएंगे लेकिन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदौर की सैफ़ी मसजिद में जा चुके हैं। मोदी वहां दाऊदी बोहरा समुदाय के एक कार्यक्रम में गए थे। इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद ने विरोध जताया था और कहा था कि राजनेताओं को हिंदुओं के हितों को अहमियत देनी चाहिए। इससे पहले मोदी अपने विदेशी दौरों में यूएई, इंडोनेशिया की मसजिद में भी जा चुके हैं।
थमा नहीं विवाद
वर्षों तक चले राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद मामले में भले ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भूमि पूजन भी हो गया हो लेकिन ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने एक बार फिर कहा है कि वह इस विवाद में अदालत के फ़ैसले से इत्तेफ़ाक नहीं रखता।
बोर्ड ने हाल ही में बेहद सख़्त अल्फ़ाजों में कहा बाबरी मसजिद थी और हमेशा रहेगी। बोर्ड ने कहा है कि नाइंसाफी, बलपूर्वक, शर्मनाक और बहुसंख्यकों के तुष्टिकरण के आधार पर ज़मीन के पुनर्निधारण का फ़ैसला इस तथ्य को नहीं बदल सकता है।
अयोध्या में बनाई जाएगी मसजिद
राम मंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाल ही में अयोध्या में मसजिद के निर्माण के लिए 15 सदस्यों वाले ट्रस्ट का गठन किया है। ट्रस्ट का नाम ‘इंडो इसलामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन’ रखा गया है। बोर्ड ने कहा है कि मसजिद के साथ-साथ 5 एकड़ के दायरे में चैरिटेबल अस्पताल, म्यूजियम, लाइब्रेरी, पब्लिशिंग हाउस बनाया जाएगा व मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में उत्तर प्रदेश सरकार को मुसलिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था।
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