यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग अगले हफ्ते फैसला लेगा। लेकिन हालात ऐसे बन रहे हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव शायद वक्त पर न हो पाए।
क्या ओमिक्रॉन और लॉकडाउन की आड़ में राष्ट्रपति शासन लगाकर यूपी विधानसभा चुनाव टाला जा सकता है? बीजेपी मौजूदा हालात में यूपी चुनाव का सामना करने की स्थिति में खुद को नहीं पा रही है।
यह आशंका जताई जा रही है। बस, इसमें दिक्कत यही है कि अगर यूपी में ऐसा करना पड़ा तो बाकी 4 राज्यों में भी ऐसा करना पड़ेगा।
बीजेपी कोटे से राज्यसभा सदस्य बने सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आज एक ट्वीट कर इस इस आशंका को और बढ़ा दिया है।
स्वामी
ने अपने ट्वीट में कहा कि अगर लॉकडाउन लगाकर यूपी चुनाव टाल दिया जाए तो
हैरानी नहीं होना चाहिए। सितम्बर तक यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाया जा
सकता है। जिस काम को इस साल नहीं किया जा सका, उसे अप्रत्यक्ष रूप से अगले
साल की शुरुआत में किया जा सकता है।
स्वामी का ट्वीट इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद आया है। हाई
कोर्ट ने कल कहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव कुछ दिन के लिए टाल दिए जाएं।
रैलियों पर रोक लगा दी जाए।
तो क्या केंद्र
सरकार राष्ट्रपति शासन लगाकर पहले योगी से छुटकारा पाएगी। फिर बीजेपी नई
रणनीति के साथ यूपी विधानसभा चुनाव में उतरेगी।
अभी ये सब सिर्फ संभावनाएं हैं। किसी के पास कहीं से भी पुष्ट सूचना नहीं है।
अब उनके आज के ट्वीट के जवाब में जब लोग सवाल पूछने लगे तो उन्होंने
जवाब में एक महत्वपूर्ण बात कही कि प्रधानमंत्री अगले साल 75 साल के हो
जाएंगे। इसके आगे वो मौन हैं। यानी वो ये कहना चाहते हैं कि पार्टी के
नियमों के अनुसार 75 साल में उन्हें पद छोड़ देना चाहिए और पार्टी किसी नए
नेता को पद देगी।
स्वामी शायद यह कहना चाहते हैं कि 75 साल पर कोई सवाल उठाए, उससे पहले ही प्रधानमंत्री पद के संभावित समीकरण बदल देना चाहते हैं।
अगर योगी इस चुनाव के जरिए वापसी करते हैं तो आरएसएस 2024 में
योगी को प्रधानमंत्री बनाने पर विचार कर सकता है। यह बात मोदी को पता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र यूपी में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
वैधानिक स्थिति क्या है
वैधानिक
स्थिति यह बताती है कि केंद्र ऐसा कर सकता है। लेकिन उसके लिए कई नियम हैं।
केंद्र सरकार अधिकतम किसी राज्य में 6 महीने तक ही संविधान के आर्टिकल 356
के तहत राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।
कुल मिलाकर नियम की मूल भावना यह है कि कोई बड़ा कारण होना चाहिए, जिसमें उन हालात में राज्य का शासन चलाना मुश्किल हो।
यूपी
में अभी बीजेपी सत्ता में है। योगी का कार्यकाल ठीक तीन महीने बाद 19
मार्च 2022 तक है। यानी उस समय तक नई विधानसभा का गठन हो जाना चाहिए।
अन्यथा वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। लेकिन यहां तो हालात पहले से ही
बन रहे हैं।
यह घटनाक्रम बताता है कि योगी अपनी कट्टरवादी छवि के कारण आरएसएस की पहली पसंद बनते जा रहे हैं।
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