क्या हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या की ज़िम्मेदारी इसलिए ली जा रही है कि जाँच करने वालों को भटकाया जा सके और पूरी जाँच को ही पटरी से उतारा जा सके? क्या इस तरह कोई हत्यारा व्हॉट्सऐप पर हत्या की ज़िम्मेदारी लेता है?
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद व्हॉट्सऐप ग्रुप पर एक मैसेज चल रहा है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है, 'हम अल-हिन्द ब्रिगेड कमलेश तिवारी की हत्या की ज़िम्मेदारी लेते हैं। उसने इसलाम और मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश की। अभी और आना बाकी है।'
इस मैसेज में कमलेश तिवारी की तसवीर लगाई गई है और उन्हें 'बेकार का आदमी' बताया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि 'जो कोई इसलाम और मुसलमानों पर अंगुली उठाएगा, उसका यही हश्र होगा।'
हिन्दू समाज पार्टी के इस नेता की हत्या लखनऊ में शुक्रवार को घर पर ही कर दी गई। संदिग्ध हत्यारे तिवारी से मिलने के लिए घर गए और घर पर ही उनकी हत्या कर दी। उनके चेहरे और गले पर चाकू से 15 बार चोट किए गए। उन्हें गोली भी मारी गई। पुलिस ने हत्या के स्थल से ही रिवाल्वर बरामद कर ली है।
अहम सवाल यह है कि क्या व्हॉट्सऐप मैसेज पर भरोसा किया जा सकता है। क्या कोई इस तरह व्हॉट्सऐप पर हत्या की बात कबूलता है? यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि व्हॉटसऐप एंड टू एंड एनक्रिप्शन होता है, यानी इसे बीच में क्रैक नहीं किया जा सकता। मैसेज छोड़ने वाले को ट्रेस नहीं किया जा सकता और न ही उस तक पहुँचा जा सकता है।
यह बात महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि पुलिस ने यह कहा है कि शुरुआती जाँच से यह नहीं कहा जा सकता है कि इसके पीछे कोई आतंकवादी गुट था या यह कोई आतंकवादी हमले का नतीजा है। तो क्या यह हत्या निजी दुश्मनी, राजनीतिक वजह, बदला या किसी और वजह से हुई है? इन सवालों के जवाब पुलिस जाँच से ही मिल सकेंगे।
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