दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर डेरा डालकर बैठे किसानों से परेशान मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतें भी मैदान में आ गई हैं। टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर जहां मुख्यत: हरियाणा-पंजाब के किसानों की अधिकता है, वहीं दिल्ली-यूपी के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से आए किसान डटे हुए हैं।
किसान आंदोलन: पश्चिमी यूपी की खाप पंचायतें भी समर्थन में उतरीं
- उत्तर प्रदेश
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- 17 Dec, 2020
दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर डेरा डालकर बैठे किसानों से परेशान मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतें भी मैदान में आ गई हैं।

पंजाब और हरियाणा की तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश भी खेती और संपन्नता के लिए जाना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज़मींदार किसानों की अच्छी संख्या है। ऐसे किसान जिनके पास काफी ज़मीन है। जिनकी ज़मीन औद्योगिक विकास के लिए ले ली गई तो उन्हें इसके काफी अच्छे दाम मिले और उन्होंने किसी कारोबार में पैसा लगा दिया और अपने पैसे को और बढ़ाया। लेकिन साथ में थोड़ी बहुत किसानी भी करते रहे और किसानों की राजनीति भी। कहने का मतलब यह है कि इस इलाक़े के किसान भी आर्थिक रूप से मजबूत हैं और उनका अच्छा सामाजिक आधार भी है।