इसलाम के ख़िलाफ़ लगातार विवादित बयानबाज़ी करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी ने सोमवार को हिंदू मज़हब कुबूल कर लिया। उन्हें इसलाम के ख़िलाफ़ ही बेहूदी बातें कहने वाले डासना मंदिर के महंत स्वामी यतिनरसिंहानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म में शामिल कराया।
इस मौक़े पर बाक़ायदा मंत्रोच्चार भी हुआ। वसीम रिज़वी को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम दिया गया है।
आयतें हटाने की मांग
वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ बीते दिनों तब विरोध तेज़ हुआ था, जब उन्होंने क़ुरान में से 26 आयतों को हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मुसलिम समुदाय के लोगों ने उनके ख़िलाफ़ फतवे दिए थे लेकिन दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े लोग रिज़वी के समर्थन में आ गए थे।
इस मामले में रिज़वी के ख़िलाफ़ कई जगहों पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने को लेकर एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी। तेलंगाना, कश्मीर सहित कई अन्य राज्यों में भी रिज़वी के ख़िलाफ़ मुसलिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे थे।
वहाबी मुसलमानों के बड़े इसलामिक इदारे दारूल उलूम देवबंद, बरेलवी मुसलमानों के इदारे दरगाह आला हज़रत की ओर से रिज़वी के बयानों की मज़म्मत की गई थी। शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जव्वाद ने मांग की थी कि वसीम रिज़वी को तुरंत गिरफ़्तार किया जाए।
हिंदू धर्म में शामिल होने के मौक़े पर वसीम रिज़वी ने कहा कि उन्हें इसलाम से निकाल दिया गया। जुमे की नमाज़ के बाद उनके पुतले जलाए जाते हैं और उनके सिर काटने पर रखा इनाम बढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का पहला धर्म है।
गड़बड़ी के हैं आरोप
वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ शिया वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों की बिक्री और ख़रीद में धोखाधड़ी की शिकायत की गई थी। इसके बाद सीबीआई ने रिज़वी के ख़िलाफ़ दो एफ़आईआर भी दर्ज की थीं। रिज़वी पर आरोप था कि उन्होंने प्रयागराज और कानपुर में वक़्फ़ से जुड़ी संपत्तियों की ख़रीद-बिक्री और ट्रांसफ़र में गड़बड़ी की है।
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