ख़ुद प्रियंका गाँधी ने कई बार यह कहा था कि अगर पार्टी का निर्देश होगा तो वह कहीं से भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कई साक्षात्कारों में इस बात के संकेत भी दिए थे कि वाराणसी को लेकर कोई चौंकाने वाला नाम आ सकता है। कांग्रेस ने वाराणसी के साथ ही गोरखपुर सीट से भी अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने यहाँ से मधूसूदन तिवारी को टिकट दिया है।
2014 में बड़े अंतर से जीते थे मोदी
2014 में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को 3 लाख 71 हज़ार से ज़्यादा वोटों के अंतर से हराया था। तब नरेंद्र मोदी को 5 लाख 81 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले थे जबकि अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हज़ार से ज़्यादा मत मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी। बीएसपी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर जबकि एसपी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया पाँचवें स्थान पर रहे थे। 2014 में नरेंद्र मोदी गुजरात की वडोदरा लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़े थे और दोनों ही सीटों से उन्होंने जीत हासिल की थी।
क्या डर से किया कांग्रेस ने किनारा?
वाराणसी सीट को लेकर काफ़ी सोच-विचार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने जोख़िम न मोल लेते हुए इस सीट पर मोदी के मुक़ाबले प्रियंका को न खड़ा करने का फ़ैसला किया है। हालाँकि इस फ़ैसले से पहले कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ख़ुद राहुल-प्रियंका की टीम के सदस्यों को वाराणसी भेज कर ज़मीनी हालात को परखा और चुनाव लड़ने की संभावनाएँ टटोलीं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक़ बिना पूर्व तैयारी के मोदी से मुक़ाबले के लिए प्रियंका को उतारने का फ़ैसला जोख़िम भरा हो सकता था।
प्रियंका को वाराणसी से चुनाव लड़ाने को लेकर जायजा लेने दिल्ली से भेजी गयी कांग्रेस की टीम ने भी इस सीट को लेकर प्रतिकूल रिपोर्ट दी थी। कांग्रेस का मानना है कि वाराणसी में परिस्थितियाँ प्रियंका के विपरीत हैं और वहाँ पार्टी का संगठन भी ठीक नहीं है, इसलिए इस सीट से प्रियंका को लड़ाने पर केवल असफलता हाथ आएगी।
प्रियंका के चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस की एसपी-बीएसपी गठबंधन से भी कोई सहमति नहीं बन सकी थी। एसपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने इस बाबत कोई औपचारिक संदेश तक नहीं भेजा था और इन हालात में किस बात का समर्थन दिया जाता। कांग्रेस के कोई फ़ैसला लेने से पहले ही एसपी ने यहाँ से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने यह साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस के लिए गठबंधन ने पूरे उत्तर प्रदेश में केवल दो सीटें अमेठी और रायबरेली छोड़ी हैं।
एसपी-बीएसपी गठबंधन ने शालिनी यादव को इस सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। शालिनी यादव इस सीट से पूर्व में कांग्रेस सांसद रहे श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं और मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। पहले कांग्रेस में रही शालिनी यादव ने इसी हफ़्ते सपा की सदस्यता ली है।
अमेठी और रायबरेली पर ज़ोर
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रियंका के बनारस से चुनाव लड़ने पर अमेठी और रायबरेली में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी के चुनाव पर भी असर पड़ने की संभावना थी। अमेठी में राहुल गाँधी के मुक़ाबले बीजेपी ने एक बार फिर से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उतारा है, जबकि रायबरेली में सोनिया के मुक़ाबले कांग्रेस के ही नेता रहे दिनेश प्रताप सिंह मैदान में हैं।
बीजेपी और संघ जिस तरह से राहुल गाँधी को अमेठी में घेर रहे हैं उसको देखते हुए प्रियंका को वहाँ काफ़ी समय देना पड़ेगा। वाराणसी को लेकर कांग्रेस नेताओं का मानना था कि प्रियंका गाँधी को यहाँ से उतारने के लिए पहले तैयारी करनी चाहिए और संगठन की मज़बूती पर ध्यान देना चाहिए। उनके मुताबिक़ चौथे चरण का चुनाव क़रीब आने पर प्रियंका गाँधी को प्रत्याशी बनाने पर माहौल नहीं बन सकेगा और इसके लिए संसाधनों के साथ ही बड़ी तादाद में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं की फ़ौज जुटानी होगी।
अपनी राय बतायें