टाइम्स ऑफ इंडिया की मंगलवार 29 अगस्त की खबर के मुताबिक बरेली-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर 3 जून को एक बस के कंडक्टर और ड्राइवर ने दो मिनट के लिए बस रोककर दो मुस्लिम यात्रियों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी थी, क्योंकि उनकी नमाज का समय हो गया था। इस घटनाक्रम का किसी यात्री ने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस मामले में बस कंडक्टर मोहित यादव और ड्राइव को निलंबित कर दिया गया। मोहित यादव अनुबंध पर कंडक्टर थे यानी वो सेवा में स्थायी नहीं थे। मोहित यादव ने मैनपुरी में एक ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी कर ली। उनका शव सोमवार को उनके घर के पास रेलवे लाइन पर पाया गया। वो रविवार रात से गायब थे।
मोहित यादव मैनपुरी जिले में नंगला खुशहाली के रहने वाले थे। वो पिछले आठ वर्षों से यूपी रोडवेज में अस्थायी बस कंडक्टर थे। उन्हें हर महीने करीब 17000 रुपये वेतन मिलता था। उन्हें नमाज वाला वीडियो सामने आने के बाद ड्राइवर केपी सिंह के साथ जून में सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन बाद में मोहित को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। लेकिन चूंकि ड्राइवर केपी सिंह स्थायी कर्मचारी हैं तो निलंबन के बाद भी उन्हें आधा वेतन अभी भी मिल रहा है। लेकिन मोहित अस्थायी होने के कारण संकट में आ गए।
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टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस घटना की लगातार रिपोर्टिंग की है। अखबार को मोहित यादव के नजदीकी दोस्त ने बताया कि मोहित के पास अब पैसे नहीं थे। उन्हें रोजमर्रा की जिन्दगी चलाना मुश्किल हो रहा था। समझा जाता है कि इन हालात ने मोहित यादव को खुदकुशी के लिए मजबूर किया। मैनपुरी में घिरौर थाने के एसएचओ भोलू सिंह भाटी ने बताया कि जीआरपी वालों को मोहित का शव रेल पटरी पर मिला था। शव का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है।
अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर मोहित यादव के दोस्तों ने बताया कि मरने से पहले मोहित ने अपने नजदीकी दोस्तों को पैसे न होने के बारे में बताया था। उसके एक दोस्त ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हम साथ ही काम करते थे। रविवार रात को जब उसका फोन आया तो उसके पास पैसे खत्म हो चुके थे, यहां तक की रीचार्ज कराने तक का पैसा नहीं था। मोहित ने उसे बताया था कि उसने अपने विभाग में अपील की है लेकिन नौकरी वापस मिलने की कोई उम्मीद नहीं लगती है। बरेली यूपीएसआरटीसी के अधिकारी दीपक चौधरी के अड़ियल रवैए की वजह से मोहित डिप्रेशन में चला गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस संबंध में यूपी रोडवेज के अधिकारी दीपक चौधरी से बात की। चौधरी ने कहा कि सोशल मीडिया पर शिकायत आने के बाद हमने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी। नमाज वाला वीडियो अपने आप में उसकी गलती बताने के लिए पर्याप्त है। मोहित को अपील दाखिल करना चाहिए थी। उसके मौत की वजह कुछ और रही होगी।
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यूपी में हेट क्राइम बढ़ता ही जा रहा है। मोहित यादव की खुदकुशी का सीधा संबंध इसी तरह की घटना से है। बस को रुकवाकर लोग अक्सर लघुशंका वगैरह के लिए रुकते हैं। ढाबों पर खाना खाने के लिए यूपी रोडवेज की बसें एक-एक घंटा रुकी रहती है। लेकिन इस मामले में यूपी रोडवेज के अधिकारियों का, ढाबा मालिकों को पूरा नेक्सस काम कर रहा है। हालांकि नमाज के लिए बस का रोका जाना गलत है, क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं है। लेकिन इस वजह से किसी की नौकरी लेना गलत है और मोहित के अपील दायर करने के बावजूद यूपी रोडवेज के अधिकारियों ने यूपी सरकार का मुस्लिम प्रेम देखते हुए, उस अपील पर कोई कार्रवाई नहीं की।
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