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2017 से अब तक एनकाउंटर के 74 मामलों में यूपी पुलिस को क्लीन चिट

उत्तर प्रदेश में मार्च, 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद से ही ताबड़तोड़ एनकाउंटर हुए। कई बार इन एनकाउंटर्स को लेकर सवाल भी उठे। कानपुर के कुख़्यात बदमाश विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उठ रहे तमाम सवालों के बीच पुलिस को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2014 में दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इस मामले की मजिस्ट्रियल जांच करानी होगी। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, मार्च, 2017 के बाद से दुबे 119वां अभियुक्त था, जो पुलिस के मुताबिक़ क्रॉस फ़ायरिंग में मारा गया। अब तक एनकाउंटर के 74 मामलों में मजिस्ट्रियल जांच पूरी हो चुकी है और उत्तर प्रदेश पुलिस को इन सभी मामलों में क्लीन चिट मिल चुकी है। 

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अख़बार के मुताबिक़, 61 मामलों में पुलिस द्वारा फ़ाइल की गई क्लोजर रिपोर्ट को अदालतों द्वारा स्वीकार किया जा चुका है। 

आंकड़ों के मुताबिक़, मार्च, 2017 से अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस ने 6,145 ऑपरेशंस किए हैं, जिसमें 119 अभियुक्तों की मौत हुई है और 2,258 लोग घायल हुए हैं। इन ऑपरेशंस में 13 पुलिसकर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है और इनमें से 8 तो 2 जुलाई को बिकरू गांव में हुई घटना में मारे गए थे। कुल 885 पुलिसकर्मी इन ऑपरेशंस में घायल हुए हैं। 

पिछले साल हैदराबाद में हुए रेप मामले के चार अभियुक्तों का पुलिस द्वारा एनकाउंटर करने के बाद जब पुलिस की भूमिका को लेकर खासा शोर मचा था तो सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी.एन. सिरपुरकर की अध्यक्षता में एक कमेटी को इस मामले की स्वतंत्र जांच करने का आदेश दिया था। लेकिन अभी तक इस मामले में जांच जारी है और कुछ ठोस निकलकर नहीं आया है। 

विकास दुबे के एनकाउंटर की तरह ही हैदराबाद एनकाउंटर मामले में भी तेलगांना पुलिस ने यही तर्क दिया था कि अभियुक्तों ने पुलिस के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की थी।

जनवरी, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में हो रहे ताबड़तोड़ एनकाउंटर्स को बेहद गंभीर मुद्दा बताया था। एनकाउंटर्स में हुई मौतों को लेकर 2017 से अब तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) भी उत्तर प्रदेश सरकार को तीन नोटिस जारी कर चुका है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस से दस सवालों को लेकर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो - 

2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले में दिए गए आदेश के मुताबिक़, पुलिस की कार्रवाई में हुई मौत के सभी मामलों में मजिस्ट्रियल जांच ज़रूरी है और इन मामलों में होने वाली पूछताछ के दौरान मारे गए व्यक्ति के किसी रिश्तेदार को भी शामिल किया जाना ज़रूरी है। 
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एनकाउंटर्स से नहीं रुका अपराध

उत्तर प्रदेश सरकार इन एनकाउंटर्स को अपनी उपलब्धियों के रूप में प्रचारित करती रही है और इस बात का दावा करती रही है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले पस्त हो गए हैं। लेकिन बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले विकास दुबे और उसके गुर्गों ने सरकार के इन दावों को झुठला दिया। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि जो उत्तर प्रदेश में अपराध करेगा, उसे ठोक दिया जाएगा। विकास दुबे के मामले के बाद उत्तर प्रदेश में अपराधियों की राजनेताओं से मिलीभगत या राजनीति में सीधी सक्रियता या अपराधियों की पुलिस के आला अफ़सरों से मिलीभगत के नापाक गठजोड़ की भी कहानी सामने आई है। 

अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि विकास दुबे के एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच में क्या सामने आता है।

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क़मर वहीद नक़वी
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