गैंगस्टर अतीक अहमद प्रयागराज लाने के लिए यूपी पुलिस गुजरात के साबरमती जेल से आज मंगलवार शाम को निकलेगी। पिछली बार यूपी पुलिस अतीक को दिन ही दिन में लेकर आई थी। इस बार अतीक का ज्यादा सफर रात में कटेगा। परिवार को तमाम तरह की आशंकाएं हैं। पिछली बार गुजरात से लाए जाने पर परिवार के लोगों ने पुलिस वाहनों का पीछा तक किया था, ताकि अतीक का फर्जी एनकाउंटर पुलिस नहीं कर सके।
अतीक के खिलाफ प्रयागराज कोर्ट से वारंट बी जारी किया गया है।उत्तर प्रदेश पुलिस नए सिरे से वारंट लेकर साबरमती जेल पहुंच गई है। वहां से आज शाम को निकलेगी। प्रयागराज के धूमनगंज थाने में कुख्यात अतीक अहमद व उसके बेटे समेत 13 पर धारा 147 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है। सूची में असद कालिया, शकील, शाकिर, सबी अब्बास, फैजान, सैफ, नामी, अफ्फान, महमूद, मौद और असलम भी शामिल हैं। 8 अप्रैल को एक वारंट बी जारी किया गया था, जिसके मुताबिक अतीक अहमद को एक हफ्ते के भीतर यानी 15 अप्रैल से पहले इलाहाबाद कोर्ट के सामने पेश होना होगा। सरकारी पक्ष चाहे तो अर्जी दाखिल कर इसकी अवधि बढ़ा सकता है।
एक अधिकारी ने बताया कि अपराधी से नेता बने माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाने के लिए यूपी पुलिस साबरमती जेल पहुंच चुकी है। उमेश पाल की हत्या के मामले में अदालत की सहमति के बाद पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट के तहत प्रयागराज ले जा रही है।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार कोर्ट के फैसले का पालन कर रही है और अब उत्तर प्रदेश में अपराधी बच नहीं पाएंगे। पाठक ने कहा कि सरकार पूरे मामले की निगरानी कर रही है और हमारा उद्देश्य सख्त से सख्त सजा दिलाना है।
अतीक दोषी करार
माफिया डॉन से राजनेता बने अतीक अहमद को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 28 मार्च को दोषी ठहराया था और अब मृतक उमेश पाल के अपहरण मामले में कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह अतीक अहमद की पहली सजा है, भले ही उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हों।
एक सांसद-विधायक अदालत ने 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और दो अन्य को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और छह अन्य को मामले में बरी कर दिया गया है।
सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने कहा कि विशेष सांसद-विधायक अदालत के न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने अतीक, एक वकील सौलत हनीफ और दिनेश पासी को मामले में दोषी ठहराया। अग्रहरी ने कहा कि तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364-ए (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण) के तहत दोषी ठहराया गया था। धारा के तहत अधिकतम सजा मौत की सजा है।
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