पूर्वांचल आ पहुंची य़ूपी की चुनावी जंग में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए कभी पालनहार बनीं गैर यादव पिछड़ी जातियां अब परेशानी का सबब बन गयी हैं। उत्तर प्रदेश में छठे चरण की 14 लोकसभा सीटों पर पिछड़ी जातियों के वर्चस्व को देखते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच घमासान तेज हो गया है। इस चरण की 14 सीटों में से 12 पर लड़ रही सपा ने एक को छोड़ सभी जगह गैर-यादव पिछड़ी जाति के प्रत्याशी उतार भाजपा की राह में कांटे बो दिए हैं। इंडिया गठबंधन की ओर से इन 14 सीटों में से एक इलाहाबाद में कांग्रेस और भदोही में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि भाजपा 13 सीटों पर खुद और एक संतकबीरनगर सीट पर सहयोगी निषाद पार्टी चुनाव लड़ रही है। छठे चरण में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही में मतदान होना है।
सपा ने गैर-यादव पिछड़े प्रत्याशी उतार बिगाड़ा गणित
इंडिया गठबंधन की ओर से 12 सीटों पर चुनाव लड़ रही सपा ने केवल एक डुमरियागंज में ही अगड़ी जाति का प्रत्याशी उतारा है बाकी सभी सीटों पर उसने पिछड़ों व दलितों को टिकट दिया है। वहीं एनडीए में 13 सीटें लड़ रही भाजपा ने सात सीटों पर अगड़ी जातियों के प्रत्याशी खड़े किए हैं। मछलीशहर और लालगंज सुरक्षित सीटों को छोड़ दें तो भाजपा ने केवल भदोही, आजमगढ़ और प्रतापगढ़ में ही पिछड़ी जातियों को टिकट दिया है।
पिछड़ों का गणित साधने में जुटी भाजपा
उत्तर प्रदेश में पिछले कई चुनावों से गैर-यादव पिछड़ों की गोलबंदी कर बड़ी सफलता हासिल करती आ रही भाजपा के सामने सपा की इस नयी व्यूहरचना के चलते परेशानी खड़ी हो गयी है। भाजपा ने इस चरण में अपने कोटे की 13 में से 11 सामान्य सीटों पर अधिकांश अगड़ी जातियों से प्रत्याशियों को टिकट दिया है। सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बस्ती, इलाहाबाद, जौनपुर और डुमरियागंज में भाजपा ने ब्राह्मण व ठाकुर बिरादरी के प्रत्याशी उतारे हैं जबकि आजमगढ़ में यादव, प्रतापगढ़ में तेली, फूलपुर में कुर्मी और भदोही में बिंद प्रत्याशी दिया है।
सपा की ओर से बड़ी संख्या में गैर-यादव पिछड़े प्रत्याशियों के मैदान में उतरने के बाद भाजपा को अपने पुराने समीकरण बिगड़ने और नुक़सान की आशंका सता रही है।
भाजपा ने पिछड़े नेताओं को मोर्चे पर लगाया
छठे चरण में पिछड़े के असर को देखते हुए भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार में बड़े पैमाने पर सहयोगी दलों के पिछड़े नेताओं के साथ ही अपनी पार्टी के भी इस वर्ग के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों व नेताओं का प्रयोग किया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को चुनाव प्रचार के लिए यादव बहुल जौनपुर, आजमगढ़, फूलपुर में लाया गया है तो निषाद बहुल सुल्तानपुर, भदोही व अंबेडकरनगर में निषाद पार्टी के डॉ. संजय निषाद, राजभरों की अधिक तादाद वाले आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, मछलीशहर व बस्ती में ओमप्रकाश राजभर की सभाएं आयोजित की गई हैं।
जौनपुर में जहां इंडिया गठबंधन ने मौर्य-कुशवाहा समुदाय के प्रभावी नेता बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है वहां भाजपा ने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य की सभाएं आयोजित की हैं। पहले इंडिया गठबंधन का हिस्सा रहे जनवादी क्रांति पार्टी के अध्यक्ष संजय चौहान को एनडीए ने अपने पाले में लाने में सफलता प्राप्त की है और अब उनकी सभाएं नोनिया बिरादरी की अच्छी तादाद वाली सीटों- लालगंज, भदोही, जौनपुर, संतकबीरनगर व आजमगढ़ में कराई गयी हैं।
एनडीए में शामिल छोटे दलों की भी अग्निपरीक्षा
इन सीटों पर पिछड़े मतदाताओं के प्रभाव को देखते हुए एनडीए की सहयोगी छोटी पार्टियों की भी अग्निपरीक्षा है जो अलग-अलग जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनमें निषाद, मल्लाह या केवटों में प्रभाव रखने वाली निषाद पार्टी, राजभर बिरादरी में असर वाली सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), कुर्मी जाति की बहुलता वाला अपना दल, कुशवाहा, कोइरी समाज की पार्टी महान दल तो नोनिया बिरादरी की जनवादी क्रांति पार्टी शामिल है। हालांकि इस बार संविधान, आरक्षण बचाने के नाम पर दलितों व पिछड़ों में पनपी नाराजगी को देखते हुए भाजपा ने इनमें से ज्यादा दलों को अपने पाले में कर लिया है पर विपक्षी इंडिया गठबंधन ने टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग कर कई सीटों पर तगड़ी चुनौती पेश कर दी है।
नहीं सधे राजा भैया, भाजपा विरोध में उतरे
छठे चरण में भाजपा के लिए ताकतवर क्षत्रिय बिरादरी के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का विरोध में उतरना भी परेशानी पैदा कर रहा है। राजा भैया के साधने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें चार्टर्ड प्लेन से बेंगलुरु बुलाकर बात की थी। इसके बाद केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान भी राजा भैया से मिलने उनके बेंती स्थित महल गए थे। इन सबके बाद भी राजा भैया नहीं माने और अब उनकी पार्टी जनसत्ता दल खुलेआम इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की मदद कर रही है। राजा भैया के रुख के बाद सुल्तानपुर में मेनका गांधी से महज 14000 वोट से पिछला चुनाव हारे बसपा के चंद्रभद्र सिंह सोनू भी सपा के साथ आ गए हैं। राजा भैया का प्रभाव इस चरण में प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर व फूलपुर सहित कई सीटों पर है।
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