यूपी में जीएसटी छापों के विरोध में उतरे व्यापारियों को मनाने में यूपी सरकार और बीजेपी जुट गई है। आगरा, वाराणसी, अलीगढ़ समेत कई शहरों में व्यापारियों ने बाजार बंद कर रखे हैं। हालांकि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल मंगलवार को ही छापों पर 72 घंटों की रोक लगाई थी। जिसका जोरशोर से प्रचार भी किया गया। लेकिन व्यापारी खुश नहीं हुए।
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को आज 14 दिसंबर को ट्वीट कर व्यापार कर अधिकारियों को छापे न मारने की चेतावनी देना पड़ी। आमतौर पर सरकार किसी भी विभाग को इस तरह की चेतावनी जारी कर हतोत्साहित नहीं करती। लेकिन व्यापारियों की नाराजगी बढ़ने पर यूपी सरकार को यही तरीका ज्यादा कारगर लगा।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंगलवार को अधिकारियों से माल और सेवा कर की कथित चोरी को रोकने के लिए की जा रही छापेमारी को तीन दिनों के लिए स्थगित करने को कहा था।
राज्य भर के कई शहरों में व्यापारियों के संगठनों ने टैक्स अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए छापे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच पिछले कई दिनों से बैठकें हो रही हैं। व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ से बात की है। जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि कानून का पालन करने वाले कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
बहरहाल, बुधवार सुबह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा कि अगर अधिकारियों ने कारोबारियों को परेशान किया तो राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी व्यापारी समुदाय का सम्मान करती है। मौर्य ने विपक्षी दलों से इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने को कहा।
यूपी में पिछले सप्ताह छापे शुरू होने के बाद से, व्यापारियों ने लखनऊ, वाराणसी और आगरा जैसे राज्य के प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन किया और दुकानें बंद कर दीं। गोरखपुर, बस्ती और चित्रकूट शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए।
प्रतिनिधि निकाय वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने मीडिया को बताया कि छापेमारी का इस्तेमाल व्यापारियों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि छापे अनुचित हैं और केवल शिकायतों के आधार पर व्यापारियों को जांच के दायरे में रखा जाना चाहिए। लेकिन अधिकारी व्यापारियों को परेशान करने के लिए बेतरतीब ढंग से छापेमारी कर रहे हैं। छापों ने एक भय पैदा कर दिया है जिसके बाद कई व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए हैं, जो एक अच्छा संकेत नहीं है।
इस बीच सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि जीएसटी छापों का गलत असर पड़ेगा। एक तरह सरकार राज्य में निवेश आकर्षित कर रही है और दूसरी तरफ छापे मार रही है तो इसका गलत संकेत जाएगा। उधर, आगरा, वाराणसी, लखनऊ के कई बाजारों में दुकानों के शटर अभी भी गिरे हुए हैं।
इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीएसटी छापे रुकवाने का श्रेय समाजवादी पार्टी को दिया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सपा के आंदोलन की धमकी से डरकर जीएसटी छापे बंद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जो सरकार पहले जीएसटी के फायदे व्यापारियों को गिना रही थी, वो अब गलत व्यवहार कारोबारियों के साथ क्यों कर रही है।
लोग सोशल मीडिया पर भी जीएसटी छापों को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। लोग कह रहे हैं कि जब ये लोग घर घर मोदी घर घर योगी का नारा लगते थे, अब कागज दिखाने की बारी आई तो शटर गिराकर भाग गए हैं। इस रोचक ट्वीट को भी पढ़िए-
इससे मिलते जुलते और भी ट्वीट सोशल मीडिया पर चल रहे हैं। जिनमें उल्टा व्यापारियों से सवाल किया गया है कि उन्हें तो बीजेपी अपना मानती है। उनको चंदा भी कारोबारियों से खूब मिलता है तो यूपी का व्यापारी फिर भी क्यों नाराज हो रहा है।
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