पिछले साल दिसंबर में दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने सेंगर को उम्रक़ैद की सजा सुनाई थी और 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। उन्नाव पीड़िता के पिता की अप्रैल, 2018 में न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।
पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल और माखी पुलिस स्टेशन के प्रभारी, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, कांस्टेबल आमिर ख़ान और छह अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आरोप तय किये गये थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले को दिल्ली ट्रांसफ़र कर दिया गया था।
दुष्कर्म पीड़िता ने सेंगर पर आरोप लगाया था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी माँगने विधायक के आवास पर गई थी तो सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता के परिवार ने कहा था कि बलात्कार मामले में विधायक और उसके साथियों ने पुलिस में शिक़ायत नहीं करने के लिए उन पर दबाव बनाया था।
विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर व उसके साथियों ने पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की थी और इसके बाद पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। मौत से पहले पीड़िता के पिता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने उन्हें पीटा था।
पीड़िता ने पुलिस के रवैये से परेशान होकर मुख्यमंत्री आवास के बाहर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह करने का भी प्रयास किया था। कुलदीप सिंह सेंगर के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कुलदीप सिंह सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाक़ात की थी।
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