स्वामी प्रसाद मौर्य और संत राजू दास परमहंस के बीच हाथापाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। उस वीडियो में मौर्य और राजू दास परमहंस को हाथापाई करते देखा जा सकता है। दोनों एक टीवी चैनल की डिबेट के लिए पहुँचे थे। तो सवाल है कि आख़िर दोनों के बीच मारपीट की नौबत क्यों आई? क्या यह मौर्य की पहले की रामचरितमानस पर टिप्पणी को लेकर तनाव हुआ?
कहा जा रहा है कि यह घटना लखनऊ के ताज होटल में हुई। एक टीवी का कार्यक्रम आयोजित था। हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को उसमें आमंत्रित किया गया था। बताया जा रहा है कि वहीं पर होटल में दोनों के बीच झड़प हो गई। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को साझा किया गया है।
#लखनऊ: स्वामी प्रसाद मौर्य और महंत राजूदास के बीच मारपीट, समर्थक भिड़े, एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम के दौरान हुआ विवाद..#swamiprasadmaurya #Rajudas #Lucknow @samajwadiparty pic.twitter.com/IyTsjhoxax
— Nitish Gupta (@nitishgupta001) February 15, 2023
इस घटना पर राजू दास ने कई बड़े आरोप लगाए हैं। प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार राजू दास ने आरोप लगाया है कि स्वामी प्रसाद के समर्थकों ने उन्हें पीटा है। महंत राजू दास ने कहा है कि वह मौर्य के ख़िलाफ़ मुक़दमा कराएँगे। उन्होंने आरोप लगाया है, 'हम चार लोग थे और स्वामी के 50 से अधिक लोग थे। स्वामी ने अपने समर्थकों को मुझे मारने को कहा और वे मेरे ऊपर टूट पड़े।'
रिपोर्ट के अनुसार स्वामी प्रसाद मौर्य ने आरोप लगाया है कि होटल के बाहर महंत राजू दास के समर्थकों ने उन पर भाला और तलवार से हमला किया है। उन्होंने कहा है कि इसके बाद ही उनके समर्थकों ने महंत पर हमला किया।
बताया जा रहा है कि दोनों के बीच झड़प टीवी बहस के दौरान टिप्पणी को लेकर हुई। डिबेट के दौरान राजू दास परमहंस इस बात पर भड़क गए कि स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा भगवान राम का अपमान किया गया। इसी बात को लेकर दोनों के बीच तनाव हुआ और बाद में मारपीट की नौबत आ गई।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था।
मौर्य ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरितमानस में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लिए 'आपत्तिजनक भाषा' इस्तेमाल किए जाने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया।
एक कार्यक्रम में न्यूज चैनल आजतक पर मौर्य ने पिछले महीने कहा था, 'कोई करोड़ लोग इसको नहीं पढ़ते। सब बकवास है। ये तुलसीदास ने अपनी तारीफ़ और खुशी के लिए लिखा है। धर्म हो, हम उसका स्वागत करते हैं। पर धर्म के नाम पर गाली क्यों? दलित को, आदिवासियों को, पिछड़ों को जाति के नाम पर शूद्र कह करके, क्यों गाली दे रहे हैं? क्या गाली देना धर्म है?'
मौर्य ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा- मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। लेकिन अगर धर्म के नाम पर किसी समुदाय या जाति को अपमानित किया जाता है तो यह आपत्तिजनक है। मौर्य ने जो बातें कहीं है, बिहार के मंत्री चंद्रशेखर ने भी लगभग वही बातें कहीं हैं।
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