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हिंदी की जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री को उनके उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सैंड’ के लिए बीते मई में बुकर पुरस्कार मिला था। इस उपलब्धि पर गीतांजलि श्री के सम्मान में आगरा में शनिवार को एक कार्यक्रम रखा गया था। लेकिन एक शख्स के द्वारा इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत किए जाने के बाद इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।
आगरा के दो सांस्कृतिक संगठनों रंगलीला और आगरा थिएटर क्लब ने गीतांजलि श्री के सम्मान में इस कार्यक्रम को रखा था। रंगलीला से जुड़े अनिल शुक्ला और आगरा थिएटर क्लब से जुड़े हर विजय ने कार्यक्रम रद्द होने के बाद कहा कि लोगों में इस कार्यक्रम को लेकर बेहद उत्साह था।
उन्होंने बताया कि गीतांजलि श्री आगरा के नजदीक मैनपुरी में पैदा हुई थीं और उनके जन्म के वक्त उनके पिता आगरा डिवीजन में आईएएस ऑफिसर थे। उन्होंने बताया कि गीतांजलि श्री ने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पढ़ाई की है और उनके कार्यक्रम को रद्द किया जाना बेहद दुखद है।
कार्यक्रम के खिलाफ संदीप कुमार पाठक नाम के एक शख्स ने हाथरस कोतवाली पुलिस थाने में शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास में भगवान शिव और मां पार्वती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। उन्होंने गीतांजलि श्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग की थी।
अनिल शुक्ला ने बताया कि हाथरस पुलिस की ओर से कहा गया है कि किताब के कंटेंट को पढ़े जाने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अनिल शुक्ला के मुताबिक, गीतांजलि श्री ने बताया है कि एबीवीपी के छात्रों ने कुछ दिन पहले जेएनयू में शिक्षक संघ के द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम में रुकावट डालने की कोशिश की थी। आगरा की घटना के बाद ऐसा लगता है कि गीतांजलि श्री कुछ वक्त के लिए सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर हो सकती हैं।
लेखिका ने उनकी किताब को लेकर हुए विवाद के बारे में कहा था कि उन्होंने जो कुछ लिखा है वह भारतीय पौराणिक कथाओं पर आधारित है और उनका किसी की भी भावनाओं का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। गीतांजलि श्री ने कहा था कि वह सभी की भावनाओं का सम्मान करती हैं।
पुरस्कार मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा था कि उन्होंने कभी बुकर पुरस्कार मिलने के बारे में सोचा नहीं था, यह अद्भुत है और वह बेहद सम्मानित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि लेखन अपने आप में एक इनाम जैसा है लेकिन बुकर पुरस्कार मिलना एक विशेष स्वीकृति की तरह है।
‘टूम ऑव सैंड’ बुकर पुरस्कार पाने वाले उन 13 उपन्यासों की सूची में शामिल था जिनका 11 अलग-अलग भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है।
‘रेत समाधि’ में 80 साल की एक बूढ़ी महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद भयंकर अवसाद से गुजर रही होती है। लेकिन अचानक वह इस अवसाद से बाहर आती है और पाकिस्तान जाने का फैसला करती है जिस जगह को उसने विभाजन के दौरान छोड़ दिया था।
गीतांजलि ने अब तक तीन उपन्यास लिखे हैं जबकि बड़ी संख्या में छोटी कहानियां भी लिखी हैं। उनकी कई कहानियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और कोरियाई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
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