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पेशी पर जाते समय मोची की दुकान पर रुके राहुल, जूते सीना सीखा

सुल्तानपुर में कोर्ट की पेशी पर जाने के दौरान राहुल गांधी ने एक मोची के परिवार से मिलने के लिए बीच रास्ते में अपनी कार रोकी। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मोची का काम करने वाले परिवार की समस्याएँ सुनीं। उन्होंने जूते सीना भी सीखा। 

कांग्रेस ने राहुल के मोची के परिवार से मुलाकात की तस्वीरों को ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'ऐसे करोड़ों परिवारों की खुशहाली के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। इनके साथ हुए हर अन्याय को हराकर, इन्हें सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाना ही हमारा संकल्प है।'

राहुल गांधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले में सुल्तानपुर एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश होने गए थे। उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया उसके बाद उनका काफ़िला वापस लखनऊ के लिए चल पड़ा। राहुल गांधी का काफ़िला सुल्तानपुर से करीब 13 किमी दूर कूरेभार के विधायक नगर चौराहे पर पहुंचा तो उन्होंने मोची की दुकान देखते ही गाड़ी रुकवा दी।

इसी दौरान सुल्तानपुर में राहुल ने मोची राम चैत से बातचीत की। राम चैत ने राहुल को अपनी आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति के बारे में बताया और उनसे मदद मांगी। कांग्रेस नेता ने जूते सीना भी सीखा। एएनआई से बात करते हुए राम चैत ने कहा, 'मैंने उनसे कहा कि मैं आर्थिक रूप से कमजोर हूं और उनसे कुछ मदद मांगी। मैंने उन्हें यह भी दिखाया कि मैं जूते कैसे सीता हूं।'

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राहुल गांधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज मानहानि के मामले में सुल्तानपुर एमपी/एमएलए कोर्ट में पेश हुए। 2 जुलाई को कोर्ट ने राहुल गांधी को 26 जुलाई को पेश होने को कहा था। राहुल गांधी ने अपना बयान दर्ज कराया और कोर्ट ने मामले में सबूतों की जांच के लिए अगली तारीख 12 अगस्त तय की। 

भाजपा पदाधिकारी विजय मिश्रा ने 2018 में कर्नाटक चुनाव के दौरान अमित शाह के खिलाफ की गई टिप्पणी के लिए सुल्तानपुर में राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। राहुल ने कथित तौर पर कहा था कि 'भाजपा ईमानदार और स्वच्छ राजनीति में विश्वास करने का दावा करती है, लेकिन पार्टी अध्यक्ष एक हत्या के मामले में आरोपी हैं'। उस समय शाह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। राहुल की टिप्पणी से चार साल पहले, मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2005 के फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह को बरी कर दिया था, जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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