कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पूनिया ने कहा है कि पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगी। पूनिया को हाल ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। दलित समुदाय से आने वाले पूनिया को इस बड़े पद पर नियुक्त कर पार्टी ने दलित मतदाताओं को फिर से अपने पाले में खींचने की कोशिश की है।
पूनिया ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि प्रियंका गांधी राज्य में सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित न करने से चुनाव में पार्टी की संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनाव प्रचार भी प्रियंका के इर्द-गिर्द ही घूमेगा।
वरिष्ठ नौकरशाह रह चुके पूनिया ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस व बीजेपी के बीच सीधा मुक़ाबला होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में एसपी और बीएसपी लड़ाई में नहीं रह पाएंगी और पीछे रहेंगी।
आम तौर पर चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष को चुनावी चेहरा माना जाता है। इसलिए उत्तर प्रदेश कांग्रेस में चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी के बाद पीएल पूनिया ही बड़े चेहरे के तौर पर दिखाई दे सकते हैं।
प्रियंका ने लगाया जोर
लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचल डालने की घटना को कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बना लिया है। प्रियंका गांधी इस मामले को पूरी ताक़त के साथ उठा चुकी हैं। राहुल और प्रियंका लखीमपुर जाकर पीड़ित परिवारों के साथ मुलाक़ात भी कर चुके हैं।
परेशान है बीजेपी
कांग्रेस के अलावा किसानों ने भी पूरी मजबूती के साथ इस मामले में बीजेपी पर जोरदार हमला बोल दिया है। बीजेपी को डर है कि इससे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उसे राजनीतिक नुक़सान हो सकता है।
विपक्ष और किसानों के अलावा पीलीभीत के बीजेपी सांसद वरूण गांधी भी लगातार किसानों को कुचल डालने की इस घटना को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। इससे निश्चित रूप से पार्टी के भीतर बेचैनी का माहौल है।
किसान आंदोलन है मौक़ा
कांग्रेस जानती है कि किसान आंदोलन के कारण जो हालात उत्तर प्रदेश ख़ासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बने हैं, उससे मिले सियासी मौक़े को किसी भी सूरत में गंवाना नहीं है। इसलिए प्रियंका ने लखीमपुर की घटना के बाद बीजेपी को बुरी तरह घेर लिया।
यह साफ है कि कांग्रेस को 2022 का विधानसभा चुनाव प्रियंका के ही नेतृत्व में लड़ना है। प्रियंका की पूरी कोशिश है कि कांग्रेस को मजबूत विपक्षी दल के रूप में उत्तर प्रदेश में खड़ा कर दिया जाए, हालांकि चुनौतियां बहुत हैं लेकिन फिर भी पूरी ताक़त झोंकने में क्या हर्ज है।
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