लोकसभा चुनावों में ख़राब प्रदर्शन के बाद सदमे में आए सपा प्रमुख अखिलेश जहाँ अब तक नहीं उबरे हैं वहीं गठबंधन तोड़ कर बसपा सुप्रीमो मायावती ट्वीट और घर पर बैठकें कर बीजेपी से मुक़ाबले की ज़मीन तैयार कर रही हैं। इन सबसे इतर प्रियंका गाँधी ने हार से उबरते हुए एक बार फिर से विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर दी है। प्रियंका की तैयारियों से लगता है कि उनकी योजना बीजेपी की तरह संगठन खड़ा करने की है। लोकसभा चुनावों के दौरान पस्त हाल संगठन और स्वंयभू नेताओं का हाल देख सबसे पहले प्रियंका का ज़ोर एक बार फिर से कांग्रेस संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन कर उसे दुरुस्त करने पर है। अलग-अलग क्षेत्रों में जिताउ प्रत्याशियों की तलाश, नौजवानों, महिलाओं, दलितों और पिछड़ों को जोड़ना उनकी प्राथमिकता में है। टीम प्रियंका के सदस्य जहाँ प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पहले से रवाना कर दिए गए हैं वहीं कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू जैसे ज़मीन से जुड़े नेता को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर सांगठनिक फेरबदल की कवायद शुरू हो गयी है।
कांग्रेस हाईकमान की रणनीति पर नज़र रखने वालों का मानना है कि यूपी में संगठन के स्तर पर बहुत कुछ नया दिखेगा। ज़िलों, शहरों में कांग्रेस संगठन को बड़े महारथियों की जेब से बाहर निकालकर वहाँ ज़मीनी और जुझारू कार्यकर्ताओं को जगह दी जाएगी।
एक महीने से चल रही है कवायद
ख़ुद प्रियंका भी मिल रही हैं यूपी के लोगों से
कांग्रेस महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी की पिछले एक महीने में एक-एक कर क़रीब 960 लोगों से मुलाक़ात हुई है। यह सिलसिला अभी भी जारी है। इसमें नेता, कार्यकर्ता, किसान, व्यापारी, महिला, छात्र, प्रोफ़ेसर, डॉक्टर शामिल हैं जिनसे कांग्रेस को मज़बूत करने को लेकर राय ली जा रही है।
बीते एक महीने में प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश के हर एक ज़िला अध्यक्ष, हर एक शहर अध्यक्ष, एक एक प्रत्याशी, एक-एक प्रभारी से मिलीं और उनकी बात ध्यान से सुनी।
हर ज़िले में जाएगी एक टीम
प्रदेश कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका गाँधी ने अपने एआईसीसी सचिवों और चुनिंदा नेताओं की टीमें ज़िले-ज़िले भेजकर जाँच-पड़ताल की प्रक्रिया शुरू की है। हर टीम को एक ज़िले में न्यूनतम दो दिन रहकर सांगठनिक समीक्षा करनी है। इस दौरान टीम को ज़िले के पुराने और नए कांग्रेसियों से मिलना है। कार्यकर्ता से मिलना है। इसका मक़सद बड़े नेताओं की गिरफ़्त में फँसी ज़िला कमेटियों को मुक्त कराना और ज़िला कमेटियों को नया करना है। प्रियंका की रणनीति के मुताबिक़ प्रदेश स्तर पर और ज़िला शहर के संगठन में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा 40 वर्ष से कम लोगों को लाना है।
महिलाओं, युवाओं, दलितों-पिछड़ों पर फ़ोकस
ऑपरेशन यूपी के तहत प्रियंका की योजना में अधिक से अधिक महिलाओं को ज़िला कमेटी का हिस्सा बनाना और ज़िले का पदाधिकारी बनाना शामिल है। इसके साथ ही दलित और पिछड़े वर्ग के युवा कार्यकर्ताओं और नेताओं को ज़िला नेतृत्व में स्थान सुनिश्चित करना भी है। टीम प्रियंका के एक सदस्य के मुताबिक़ योजना नयी सामाजिक शक्तियों, समाज के नेताओं, किसान नेताओं, युवा आंदोलनकर्मियों को संगठन के नेतृत्व में लाना है। साथ ही कांग्रेस के फ़्रंट के संगठनों को आंदोलन में लगाना और उनका सांगठनिक नव निर्माण करना है।
इस सब कवायद के बाद जुलाई में प्रियंका गाँधी का पूर्वी उत्तर प्रदेश में सघन दौरे का कार्यक्रम है। इन दौरों में हर ज़िले में बैठक आयोजित की जाएगी। योजना के मुताबिक़ हर ज़िले में सांगठनिक समीक्षा बैठक के बाद ओपन हाउस मीटिंग की जाएगी जहाँ कांग्रेस कार्यकर्ताओं, शुभचिंतकों व आमजनों से प्रियंका गाँधी की खुली भेंट होगी। इस ओपन हाउस बैठक में कोई भी जा सकता है।
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