मुरादाबाद के कांठ में धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत संरक्षण गृह में भेजी गई महिला के गर्भपात की मीडिया रिपोर्टों को ज़िला प्रशासन ने खारिज कर दिया है। इसने तो उसे 'फ़ेक न्यूज़' क़रार दे दिया है। क़रीब एक हफ़्ते पहले उस महिला, उसके मुसलिम पति और पति के भाई के ख़िलाफ़ कार्रवाई की थी। दोनों ने इसी साल जुलाई महीने में ही शादी कर ली थी।
पुलिस ने पिछले रविवार को तब कार्रवाई की थी जब 22 वर्षीय युवक राशिद अली और पिंकी (22) अपनी शादी का पंजीकरण करवाने जा रहे थे। पुलिस ने राशिद और उनके भाई सलीम अली को गिरफ़्तार किया था और पिंकी को संरक्षण गृह में भेज दिया था।
यह मामला योगी सरकार के 'लव जिहाद' के कारण पहले से ही चर्चा में था और इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्टों में जब दावा किया गया कि पिंकी का गर्भपात हो गया है तो मुरादाबाद ज़िला प्रशासन पर सवाल उठने लगे। लेकिन प्रशासन ने मीडिया की ख़बरों को सिरे से खारिज कर दिया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि पेट दर्द की शिकायत के बाद पिंकी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके अनुसार रविवार सुबह उन्हें छुट्टी दे दी गई, लेकिन रविवार दोपहर जब महिला को दोबारा पेट में दर्द हुआ तो फिर से भर्ती कराया गया।
ज़िला प्रोबेशन अधिकारी (मुरादाबाद) राजेश चंद्र गुप्ता ने बताया कि मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि वह तीन महीने की गर्भवती है। शुक्रवार को महिला को पेट में तेज दर्द की शिकायत हुई और उसे महिला ज़िला अस्पताल ले जाया गया। उसे वहीं भर्ती कराया गया था। आज (रविवार) सुबह क़रीब 11 बजे महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। दोपहर 2 बजे के बाद उसे फिर से पेट में दर्द की शिकायत हुई।'
उन्होंने कहा कि रविवार देर शाम तक महिला एकदम ठीक थीं। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने मजिस्ट्रेट को चिट्ठी लिखी है जिनके निर्देश पर महिला को संरक्षण गृह भेजा गया था। मैंने महिला की सेहत और गर्भधान के बारे में बताया है।'
रिपोर्ट के अनुसार, प्रोबेशन अधिकारी गुप्ता ने यह भी कहा कि महिला का बयान रिकॉर्ड हो जाने पर यह उनके ऊपर निर्भर करेगा कि वह कहाँ जाना चाहती हैं।
बता दें कि जब पिंकी को संरक्षण गृह में भेजा जा रहा था तब पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा था, 'मैंने राशिद के साथ 24 जुलाई को शादी कर ली है। मैं तब से मुरादाबाद के कांठ में रह रही हूँ। मैं एक वयस्क हूँ और मैंने मेरी इच्छा के अनुसार राशिद से शादी की।'
हालाँकि, एक हफ़्ते से ज़्यादा होने के बावजूद पिंकी का बयान मजिस्ट्रेट के सामने रिकॉर्ड नहीं किया गया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मुरादाबाद एएसपी विद्या सागर मिश्रा ने कहा कि महिला का जल्द ही बयान दर्ज कराया जाएगा।
बता दें कि योगी सरकार के इस धर्मांतरण विरोधी क़ानून को ‘लव जिहाद’ के तौर पर देखा जा रहा है। वैसे, ‘लव जिहाद’ की कोई परिभाषा नहीं है, लेकिन दक्षिणपंथी इसे इस तरह से पेश करते हैं कि ‘मुसलिम भोली-भाली हिंदू लड़कियों को जाल में फँसाकर शादी रचाते हैं और उनका धर्मांतरण करा लेते हैं’। लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार की तरफ़ से भी आधिकारिक रूप से यह नहीं कहा गया है कि देश में ‘लव जिहाद’ का कोई मामला आया है।
इसके बावजूद योगी सरकार इस ‘लव जिहाद’ पर सख़्त रूख अपनाए हुए है। 'लव जिहाद' के हो हल्ले के बीच ही जब से 28 नवंबर को ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश आया है तब से इस पर सवाल उठता रहा है।
इसकी यह कहकर आलोचना की जा रही है कि लव जिहाद के नाम पर एक ख़ास समुदाय को प्रताड़ित किया जाएगा। यह डर इसलिए बना हुआ है कि इस क़ानून के तहत अपराधों के लिए अधिकतम 10 साल तक सज़ा मिल सकती है। अध्यादेश कहता है कि कोई भी व्यक्ति ग़लत बयानी, ज़बरदस्ती, खरीद फरोख्त, धोखेबाजी कर या शादी के ज़रिए दूसरे को धर्मांतरित करने का प्रयास नहीं करेगा। यदि कोई व्यक्ति उस धर्म में वापस धर्मान्तरित होता है जिसमें वह हाल तक था तो उसे धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। कोई भी पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है, और सबूत पेश करने की ज़िम्मेदारी अभियुक्त या उस व्यक्ति की रहेगी जिसने धर्मांतरण किया है।
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