उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी निषाद पार्टी ने माँग की है कि उसके नेता संजय निषाद को उप मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर पेश किया जाए। पार्टी ने कहा है कि बीजेपी चुनाव के पहले ही यह घोषित कर दे कि यदि उसकी अगुवाई वाला गठबंधन चुनाव जीता और उसकी सरकार बनी तो संजय निषाद उप मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में निषाद पार्टी का सिर्फ एक सदस्य है। इसके अलावा संजय निषाद के बेटे प्रवीण संत कबीर नगर से सांसद हैं।
लेकिन पार्टी का कहना है कि उसे उप मुख्यमंत्री पद चाहिए और इसका एलान चुनाव से पहले कर दिया जाए।
नड्डा से मुलाक़ात
संजय निषाद ने मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से मुलाक़ात की थी और बुधवार को उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी को 160 सीटें चाहिए।
उन्होंने कहा,
“
उत्तर प्रदेश में निषाद-बहुल 160 विधानसभा क्षेत्र हैं, इसके अलावा 75 विधानसभा क्षेत्रों में निषाद समुदाय के लोगों की तादाद 75 हज़ार या इससे ज़्यादा है। मुझे मुख्यमंत्री नहीं तो उप मुख्यमंत्री का चेहरा बना कर चुनाव में उतारने से बीजेपी को फ़ायदा होगा।
संजय निषाद, अध्यक्ष, निषाद पार्टी
उन्होंने यह दावा किया कि मछुआरा समुदाय के लोग अब बीएसपी, समाजवादी पार्टी या कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं।
संजय निषाद ने खुद को उप-मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'उत्तर प्रदेश में सभी जातियों के लोग मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इसलिए बीजेपी को उप मुख्यमंत्री के रूप में मेरे नाम का एलान कर देना चाहिए। इससे उसे भी फ़ायदा होगा और निषाद समुदाय को भी।'
उन्होंने कहा कि इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष से यह माँग भी की गई है कि निषाद समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्ज दिया जाना चाहिए।
अमित शाह से मिलीं अनुप्रिया पटेल
इसके पहले गृहमंत्री और बीजेपी नेता अमित शाह से अपना दल की अनुप्रिया पटेल मिलीं।
अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी नेतृत्व के सामने अपनी कुछ मांगें रखी हैं। 'एनडीटीवी' ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि उन्होंने केंद्र और उत्तर प्रदेश में एक-एक मंत्री के पद की मांग रखी है।
इसके अलावा अपना दल ने कुछ ज़िलों में ज़िला पंचायत अध्यक्ष के पद में भी दिलचस्पी दिखाई है। हालाँकि बीजेपी और अपना दल 2014 के चुनाव से पहले से ही गठबंधन में हैं, लेकिन बाद में अपना दल की नाराज़गी बढ़ी। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अपना दल को 9 सीटें मिली थीं। उससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में उसे 2 सीटें मिली थीं और तब अनुप्रिया पटेल कुछ समय के लिए केंद्र में मंत्री भी रही थीं।
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