साल 2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 10 अन्य लोगों को 2 साल की कैद की सजा सुनाई गई है जबकि एक अन्य अभियुक्त को आर्म्स एक्ट के अंदर 1 साल की सजा सुनाई गई। यह सजा विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को सुनाई। हालांकि इन सभी अभियुक्तों को तुरंत ही जमानत भी मिल गई जबकि 15 अन्य लोगों को सुबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया।
बीजेपी विधायक विक्रम सैनी के वकील भरतवीर अहलावत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सभी अभियुक्तों को उन पर लगे हत्या के प्रयास के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत के इस फैसले के खिलाफ आगे अपील की जाएगी।
विक्रम सैनी मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं। मुजफ्फरनगर दंगों में यह दूसरा मामला है जब अदालत ने सजा सुनाई है। इससे पता चलता है कि बीजेपी नेता मुजफ्फरनगर के दंगे में शामिल थे। साल 2019 में मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने सचिन और गौरव की हत्या के मामले में 7 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
जाट समुदाय की महापंचायत
27 अगस्त, 2013 को कवाल गांव में मारे गए सचिन और गौरव के मामले में जाट समुदाय की महापंचायत बुलाई गई थी। इससे पहले इन दोनों ने शाहनवाज़ क़ुरैशी नाम के शख़्स की हत्या कर दी थी। बीजेपी नेताओं संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव के अलावा हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची पर आरोप है कि मुज़फ्फरनगर के नंगला मंडोर गांव के इंटर कॉलेज में हुई जाट महापंचायत में इन्होंने भड़काऊ भाषण दिए।
जाट समुदाय की महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला हुआ था और इसके बाद दंगे शुरू हुए थे, जो मुज़फ्फर नगर और इसके आस-पास के जिलों में फैल गए थे। इन दंगों में 62 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों को बेघर होना पड़ा था।
दंगों के बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली थी और हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का सफाया हो गया था। ध्रुवीकरण का असर पूरे उत्तर प्रदेश में भी दिखा था।
संगीत सोम के ख़िलाफ़ हैं कई मामले
संगीत सोम के ख़िलाफ़ सहारनपुर के देवबंद, मुज़फ्फरनगर के खतौली, कोतवाली, सिखेड़ा, मेरठ के सरधना तथा गौतमबुद्ध नगर के थाना बिसाहड़ा में भी मामले दर्ज हैं।
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