बाग़पत में एक मौलाना की पिटाई का मामला सामने आया है। मौलाना की ओर से इस संबंध में एफ़आईआर दर्ज कराई गई है। मौलाना के मुताबिक़, कुछ युवकों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा और ऐसा न करने पार उन्हें पीटा। इस मामले में दोघाट पुलिस थाने में 12 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है।
मौलाना का नाम इमलाकुर रहमान है और वह मुज़फ़्फ़रनगर के जौला गाँव के रहने वाले हैं। बाग़पत के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस (एएसपी) अनिल कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले में चार अभियुक्तों की पहचान हो गई है और उनकी गिरफ़्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। मामले में दंगा फैलाना, दूसरे के धार्मिक विश्वास को अपमानित करने सहित कई आरोपों के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। लेकिन बाग़पत पुलिस के एसपी शैलेश कुमार पांडेय ने कहा है कि पहली नज़र में यह सिर्फ़ हमले का मामला है। एसपी के मुताबिक़, पीड़ित मौलाना ने पहले बुढ़ाना पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जहाँ उसने किसी भी तरह की धार्मिक बात का जिक्र नहीं किया लेकिन बाद में दोघाट पुलिस थाने में दर्ज शिकायत में उसने इस बात को कहा है।
इमलाकुर रहमान एक मदरसे में टीचर हैं। पुलिस को दी शिकायत में उन्होंने कहा कि 10-12 लड़कों ने उन्हें शनिवार शाम को मेरठ-करनाल हाईवे पर रोका। उस वक़्त वह मेरठ के सरधना से अपने गाँव जौला जा रहे थे। रहमान के मुताबिक़, युवाओं ने उनसे कहा कि ‘भारत में रहना है तो जय श्री राम कहना होगा’, का नारा लगाओ। लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो, युवकों ने उनकी दाढ़ी खींची, उनकी टोपी उतार दी और उन्हें मारा भी। रहमान ने कहा कि तभी वहाँ से गुजर रहे कुछ लोगों ने उन्हें बचाया। एफ़आईआर के मुताबिक़, युवकों ने जाते-जाते उनसे कहा कि वह दाढ़ी कटा लें वरना उन्हें इस रोड से जाने नहीं दिया जाएगा।
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कुछ दिन पहले कोलकाता में मदरसे के एक टीचर पर ‘जय श्री राम’ न कहने पर हमला करने और ट्रेन से धक्का देने की घटना सामने आई थी। दिल्ली में भी मोहम्मद मोमीन नाम के मदरसे के एक टीचर को ‘जय श्री राम’ बोलने को कहा गया था और ऐसा न कहने पर उन्हें कार से टक्कर मारकर घायल कर दिया गया था।
कुछ दिन पहले उन्नाव में हुई एक घटना में मदरसे के कुछ बच्चों ने आरोप लगाया था कि वे एक स्थानीय मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे कि तभी कुछ लोग वहाँ आए और जबरन ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा। छात्रों ने कहा था कि जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो उन लोगों के साथ मारपीट की गई थी। लेकिन बाद में पुलिस ने कहा कि घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज और जाँच से पता चला है कि जिन लोगों के नाम एफ़आईआर में लिखवाए गए थे, वे लोग मौक़े पर मौजूद ही नहीं थे। पुलिस ने कहा था कि मदरसे के छात्रों की कुछ दूसरे लोगों के समूह के एक व्यक्ति के साथ बहस हुई थी जिसने झगड़े का रूप ले लिया था।
‘जय श्री राम’ या ‘वंदेमातरम’ के नाम पर किसी को भी निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसी शिकायतें आने पर पुलिस को सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए और घटना की निष्पक्ष जाँच करनी चाहिए। भारत संवैधानिक देश है और यहाँ सभी को अपना धर्म मानने की आज़ादी है। ऐसे में किसी से जबरन अपने धार्मिक नारे बुलवाना पूरी तरह ग़लत है और राज्य और केंद्र सरकार को इस संबंध में सख़्त क़ानून बनाना चाहिए, जिससे आगे से इस तरह की घटनाएँ न हों।
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