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यूपी: मुसलिम उम्मीदवारों की टक्कर से होगा बीजेपी को फायदा?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के लिए पर्चा भरने का काम पूरा हो चुका है। पहले चरण में क़रीब 20 सीटों पर अलग-अलग पार्टियों के मुसलिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं। कहीं सीधी टक्कर है तो कहीं त्रिकोणीय मुक़ाबला। लिहाज़ा इन सीटों पर बेहद रोचक मुक़ाबला होने के आसार हैं। पिछली बार बीजेपी सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के मुसलिम उम्मीदवारों के आपसी टकराव के चलते पहले चरण वाली 58 सीटों में से 53 जीती थी। इस बार भी बीजेपी को मुसलिम उम्मीदवारों के आपसी टकराव से ज़्यादा फायदा होने के क़यास लगाए जा रहे हैं।

पिछले चुनाव में बीजेपी ने 53, सपा और बसपा न दो-दो और एक रालोद ने जीती थी। पिछली बार 7 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के मुसलिम उम्मीदवार आमने-सामने थे। इस बार 8 सीटों पर यह स्थिति है। इनमें से कई सीटों पर कांग्रेस तो कुछ पर ओवैसी की पार्टी का मुसलिम उम्मीदवार मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना रहा है। इससे बीजेपी की राह और आसान होती लग रही है। इसलिए क़यास लगाए जा रहे हैं कि जिन सीटों पर इन दोनों पार्टियों के मुसलिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं वो सभी सीटें बीजेपी आसानी से जीत जायेगी।

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अलीगढ़ में बीजेपी का रास्ता साफ़

पहले चरण में यूँ तो पांच सीटों पर मुसलिम उम्मीदवारों के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला होने के आसार हैं लेकिन सबसे अहम अलीगढ़ की सदर सीट है। यहां समाजवादी पार्टी के ज़फ़र आलम और बसपा की रज़िया ख़ान और कांग्रेस के सलमान इम्तियाज़ के रूप में मुख्य पार्टियों के तीन मुसलिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं। 2012 में सपा के ज़फ़र आलम यहां से बीजेपी के आशुतोष वार्ष्णेय को हराकर जीते थे। तब ज़फ़र आलम को 68,291 और आशुतोष को 45,205 वोट मिले थे। पीस पार्टी के लुत्फुर्रहमान 3,893 वोटों पर सिमट गए थे। पिछले चुनाव में जफ़र आलम को वोट तो 98,212 वोट मिले थे। लेकिन बीजेपी के संजीव राणा ने 113752 वोट हासिल करके उन्हें हरा दिया था। बसपा के मोहमम्द आरिफ़ को 25,704 वोट मिले थे। 

तीन मुसलिम उम्मीदवारों का टकराव

मेरठ की सदर सीट पर मुसलिम वोट हासिल करने के लिए सपा के रफीक अंसारी और बसपा के मोहम्मद दिलशाद के बीच होने वाले मुकाबले को ओवैसी की पार्टी के इमरान अंसारी त्रिकोणीय मुकाबले में बदलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। वहीं हापुड़ की धौलाना सीट पर मौजूदा विधायक असलम चौधरी सपा के उम्मीदवार हैं। बसपा ने इस बार यहां बासिद चौधरी को मैदान में उतारा है। पिछली बार असलम चौधरी बसपा से जीते थे। इस बार वो साइकिल पर सवार हैं। ओवैसी ने यहां हाजी आरिफ़ को उतार कर उनकी साइकिल पंचर करने की कोशिश की है।

चरथावल सीट पर बीएसपी के सलमान सईद और कांग्रेस के यासीन राणा के मुक़ाबले ओवैसी ने ताहिर अंसारी को चुनाव मैदान में उतार कर मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

वहीं गाजियाबाद के लोनी सीट पर बसपा के हाजी अकील और कांग्रेस के यासीन मलिक के बीच होने वाले मुकाबले को ओवैसी ने डॉ. महताब के ज़रिए त्रिकोणीय मुकाबले में बदलने की पूरी कोशिश की है। इन दोनों ही सीटों पर मुसलमानों की आबादी अच्छी खासी है। तीन मुसलिम उम्मीदवारों की मौजूदगी निश्चित रूप से मुसलिम समुदाय के लिए भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। 

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सपा-बसपा की सीधी टक्कर

यूं तो सपा-रालोद गठबंधन और बसपा के मुसलिम उम्मीदवार 8 सीटों पर आमने सामने हैं। लेकिन दो सीटों पर इनके मुसलिम उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर है। बुलंदशहर की सदर सीट पर सपा-रालोद गठबंधन के हाजी यूनुस के मुकाबले बीएसपी के मोबीन कल्लू कुरैशी ताल ठोक रहे हैं। अलीगढ़ की कोल सीट पर सपा के सलमान सईद के सामने बीएसपी के मोहम्मद बिलाल चुनाव मैदान में हैं। माना जा रहा है कि इन दोनों सीटों पर मुसलिम उम्मीदवारों के टकराव से बीजेपी की राह आसान हो गई है। बुलंदशहर में पिछली बार सपा के शुजात आलम को 2419 और बसपा के अलीम ख़ान को 88,454 वोट मिले थे। यहाँ बीजेपी के विरेंद्र सिंह सिरोही 1,11,538 वोट लेकर जीत गए थे। कोल पर सपा के शाह इशाक बीजेपी के अनिल पाराशर से सीधे मुकाबले में हारे थे। यहां ओवैसी की पार्टी के परवेज़ ख़ान को 463 वोट मिले थे।

muslim candidates fight in up polls to benefit bjp against sp bsp congress - Satya Hindi

सपा-रालोद को ओवैसी की चुनौती

पहले चरण में असदुद्दीन ओवैसी ने कुल 12 उम्मीदवार चुनाव मौदान में उतारे हैं। इनमें तीन हिंदू और 9 मुसलमान हैं। मेरठ जिले के किठौर सीट पर सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार शाहिद मंजूर के सामने ओवैसी की पार्टी के तस्लीम अहमद ने ताल ठोक दी है। माना जा रहा है कि इससे शाहिद मंज़ूर की राह मुश्किल हो गई है। 2012 में यहां से जीतने वाले शाहिद मंज़ूर पिछला चुनाव बीजेपी के सत्यवीर त्यागी से हार गए थे। 2012 में उन्होंने यहां बसपा के लखीराम को हराया था। उस चुनाव में सत्यवीर रालोद के उम्मीदवार थे। उन्हें 34 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले थे। बीजेपी के चौधरी जयपाल 16 हज़ार वोट लेकर चौथे स्थान पर थे। इस बार यहां सपा-रालोद के साझा उम्मीदवार के तौर पर शाहिद मंजूर को ओवैसी की पार्टी से कड़ी चुनौता मिलने के आसार लगते हैं।

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बसपा-कंग्रेस के मुसलिम उम्मीदवारों का टकराव

पहले चरण में दो सीटों पर बसपा और कांग्रेस के मुसलिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं। मुजफ्फरनगर ज़िले की मीरापुर सीट पर बीएसपी के मोहम्मद सलीम के सामने कांग्रेस के मौलाना जमील हैं। जमील पहले बसपा से इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। मेरठ दक्षिण सीट पर बसपा के कुंवर दिलशाद अली के सामने कांग्रेस के नफीस सैफी ताल ठोक रहे हैं। बुलंदशहर के शिकारपुर सीट पर बसपा के मोहम्मद रफी उर्फ खड्डा के सामने कांग्रेस के जियाउर रहमान ने ताल ठोकी है। अगर कांग्रेस के उम्मीदवारों ने मज़बूती से चुनाव लड़ा तो इन सीटों पर बसपा के उम्मीदवारों की राह मुश्किल हो सकती है। 

इसी तरह कांग्रेस की मज़बूत स्थिति वाली सीटों पर बसपा का मुसलिम उम्मीदवार उसे नुक़सान पहुँचा सकता है। ज़ाहिर है इन सीटों पर मुसलमानों के बीच भ्रम की स्थिति हो सकती है।

ग़ौरतलब है कि पहले चरण के चुनाव में मुख्य पार्टियों के टिकट पर 49 मुसलिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इनमें सबसे ज़्यादा 17 बसपा के हैं। हालाँकि पिछली बार बसपा के 20 उम्मीदवार इन 58 सीटों पर थे। सपा-रालोद गठबंधन के 13 मुसलिम उम्मीदवार हैं। इनमें 10 सपा के और 3 रालोद के हैं। कांग्रेस के 10 और ओवैसी की पार्टी के 9 मुसलिम उम्मीदवार हैं। इनके अलावा कई सीटों पर आम आदमी पार्टी के तो कई पर निर्दलीय मुसलिम उम्मीदवार भी मज़बूती से चुनाव लड़कर सपा-रालोद गठबंधन को नुक़सान और बीजेपी को फायदा पहुँचा सकते हैं।

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यूसुफ़ अंसारी
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