“बाग़बां ने आग दी जब आशियाने को मिरे,
क्या यूपी में पश्चिम बंगाल वाला हाल हो जाएगा कांग्रेस का?
- उत्तर प्रदेश
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- 27 Jan, 2022

उत्तर प्रदेश में कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें राहुल व प्रियंका के करीबी भी शामिल हैं। ऐसे में राज्य में पार्टी से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती।
जिनपे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे।”
मशहूर शायर साक़िब लखनवी का ये शेर यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत बयां कर रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रही है। पार्टी का दूसरे नंबर के सबसे बड़े चेहरे के रूप में प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी की साख़ दांव पर लगी है। ऐसे में तमाम नेताओं की ज़िम्मेदारी एकजुट पार्टी का वजूद और अपनी नेता की साख बचाने बचाने की है। ये ज़िम्मेदारी निभाने की बजाय वो ऐसे पार्टी छोड़कर भाग रहे हैं जैसे पतझड़ में पेड़ से पत्ते झड़ते हैं।
प्रियंका गांधी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव रहते कांग्रेस छोड़ने वालों की फेहरिस्त में ताज़ा नाम आरपीएन सिंह का जुड़ गया है। डॉ. मनमोहन सिंह की यूपीए-दो सरकार में राज्यमंत्री रह चुके आरपीएन सिंह ने गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले पार्टी छोड़ दी। उसी दिन चंद घंटों बाद ही बीजेपी मुख्यालय पर भगवा चोला पहनकर मोदीमय हो गए।
आरपीएन पडरौना से चुनाव लड़ते रहे हैं। आरपीएन कांग्रेस में टीम राहुल का हिस्सा थे। राहुल के ख़ास लोगों में उनकी गिनती होती थी। लिहाजा, पार्टी में उनका प्रभाव और सुनवाई दोनों थी। वो पिछले कई साल से झारखण्ड के प्रभारी थे। उन्हीं के प्रभारी रहते झारखंड में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में आया। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री बनवाने तक में उनकी पसंद नापसंद को पार्टी ने ख़ासी तरजीह दी।
आरपीएन पडरौना से चुनाव लड़ते रहे हैं। आरपीएन कांग्रेस में टीम राहुल का हिस्सा थे। राहुल के ख़ास लोगों में उनकी गिनती होती थी। लिहाजा, पार्टी में उनका प्रभाव और सुनवाई दोनों थी। वो पिछले कई साल से झारखण्ड के प्रभारी थे। उन्हीं के प्रभारी रहते झारखंड में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में आया। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री बनवाने तक में उनकी पसंद नापसंद को पार्टी ने ख़ासी तरजीह दी।