मुख्तार अंसारी की मौत पर तब विवाद हो गया जब उनके बेटे ने दावा किया कि उनके पिता को जेल में 'धीमा जहर' दिया गया था। अंसारी 2005 से यूपी के बांदा जेल में बंद थे। गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार किया है।
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने जेल में 'धीमा जहर' देने के जिस तरह का दावा किया है, ऐसा ही दावा अंसारी के भाई और ग़ाज़ीपुर सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने भी किया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ज़ल अंसारी ने कहा, 'मुख्तार ने कहा कि उन्हें जेल में खाने में जहरीला पदार्थ दिया गया था। ऐसा दूसरी बार हुआ। करीब 40 दिन पहले भी उन्हें जहर दिया गया था। और, हाल ही में 19 मार्च को उन्हें फिर से यह दिया गया। जिसके कारण उनकी हालत खराब थी।'
पिछले हफ्ते मऊ से पांच बार के पूर्व विधायक ने बाराबंकी अदालत में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें भोजन के साथ कुछ 'जहरीला पदार्थ दिया गया था। अंसारी ने दावा किया था कि 19 मार्च को खाना खाने के बाद उनकी नसों और अंगों में दर्द होने लगा था।
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जहर देने के आरोप के बावजूद सरकार ने अंसारी के इलाज पर ध्यान नहीं दिया। राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी ने कहा कि अंसारी के जहर दिए जाने के आरोपों को 'गंभीरता से नहीं लिया गया'।
इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन। अल्लाह से दुआ है के वो मुख़्तार अंसारी को मग़फ़िरत फ़रमाए, उनके ख़ानदान और उनके चाहने वालों को सब्र-ए-जमील अदा करें। @AfzalAnsariMP @yusufpore ग़ाज़ीपुर की अवाम ने अपने चहीते बेटे और भाई को को खो दिया। मुख़्तार साहब ने प्रशासन पर गंभीर आरोप… pic.twitter.com/zMbA0txKDK
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 28, 2024
इससे पहले मंगलवार को पेट दर्द की शिकायत के बाद मुख्तार अंसारी को करीब 14 घंटे के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने किसी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति को रोकने के लिए राज्य भर में निषेधाज्ञा जारी की है। पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है, बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बांदा, मऊ, गाज़ीपुर और वाराणसी जिलों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। मऊ से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी के खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार मुख्तार अंसारी की मौत की मजिस्ट्रेटी जांच तीन सदस्यीय टीम द्वारा की जाएगी।
अंसारी का जन्म स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले परिवार में हुआ था। उनके दादा 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे।
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