मुरादाबाद के एक गाँव में अपने घर के पास 3-4 लोगों द्वारा कथित रूप से छेड़छाड़ किए जाने के क़रीब 10 दिन बाद आत्महत्या कर ली। 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने मौत से पहले एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है जिसमें उसने चार लोगों पर प्रताड़ित करने और पुलिस पर निष्क्रियता बरतने का आरोप लगाया है। सुसाइड नोट में किशोरी ने आरोप लगाया है कि चार लोग लंबे समय से उसे परेशान कर रहे थे और पुलिस ने इसलिए 'कोई कार्रवाई नहीं' की क्योंकि आरोपी 'अमीर लोग' थे। उसने लिखा है कि 'महोदय, क्या अब कृपया सुनेंगे?'
लड़की के परिवार ने 8 मार्च को पास में रहने वाले चार लोगों के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन परिवार का दावा है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। मौत से पहले लिखे सुसाइड नोट में छात्रा ने परेशान करने वाले युवकों पर अपनी जिंदगी को नर्क बनाने का आरोप लगाया।
मुरादाबाद की छात्रा ने सुइसाइड नोट में लिखा है कि उसने स्कूल जाना बंद कर दिया था और इससे पढ़ाई चौपट हो गई। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार किशोरी ने नोट में लिखा है, 'इन लोगों ने मेरा सपना भी पूरा नहीं होने दिया... मुझमें अब उनका सामना करने की हिम्मत नहीं है। हालांकि, मेरे परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए। महोदय (अधिकारी), क्या आप कृपया अब सुनेंगे? मेरी मौत के बाद पुरुषों को सजा दो... ताकि ग़रीब लड़कियां जी सकें और... अपने सपने पूरे कर सकें।'
लड़की ने आगे आरोप लगाया है कि उन्होंने उसे 'मारने की कोशिश की' और उसने स्कूल जाना बंद कर दिया क्योंकि वे उसे परेशान करते थे। उसने लिखा है, 'वे मुझे धमकी देते थे कि वे मेरे माता-पिता को मार देंगे। वे छत पर चढ़ जाते और मुझे चाकुओं से धमकाते। जब मेरे माता-पिता को पता चला तो उन्होंने शिकायत दर्ज कराई लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।'
रिपोर्ट के अनुसार मुरादाबाद के एसएसपी हेमराज मीणा ने बताया कि आरोपियों का घर पीड़ित लड़की के घर के पास ही है। उन्होंने कहा था कि लड़की के परिवार की तरफ से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद एक आरोपी को हिरासत में लिया गया और फिर छोड़ दिया गया।
अब सुसाइड नोट सामने आने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मुरादाबाद पुलिस ने दो आरोपियों विकेश और अमृत को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दो अन्य फरार हैं। एसएसपी का कहना है कि शिकायत के बावजूद लड़की का बयान नहीं दर्ज करने वाले पुलिस चौकी इन्चार्ज सचिन मलिक को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने मामले में उचित कार्यवाही नहीं की थी।
ग्रामीण लड़की के परिवार का समर्थन करते हैं और मानते हैं कि आरोपी ने लड़की को परेशान किया। उसके पिता ने कहा कि 'वह कॉलेज जाने वाली परिवार की पहली व्यक्ति होती। वह दिल्ली में पढ़कर शिक्षिका बनना चाहती थी। मैं उसकी पढ़ाई के लिए कर्ज लेने को तैयार था क्योंकि मुझे लगा कि यही हमारी गरीबी से बाहर निकलने का रास्ता होगा। जब उसने स्कूल जाना बंद किया तो मैं चौंक गया। मेरी बेटी फाइटर थी, लेकिन...।'
उन्होंने कहा, 'मैंने पहली बार होली पर अपने घर के अंदर पुरुषों को पकड़ा। मेरी बेटी रो रही थी जब वे उसे खींच रहे थे और उसकी पिटाई कर रहे थे। हमने अपनी बेटी को बचाया। उन्होंने मुझे जान से मारने की धमकी दी। मैंने पुलिस से संपर्क किया लेकिन उन्होंने मेरी बेटी को डांटा। उन्होंने दो-तीन दिनों के बाद ही हमारी शिकायत ली लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया। किसी ने परवाह नहीं की क्योंकि हम गरीब हैं। मेरी बेटी इसलिए मर गई क्योंकि पुलिस ने कुछ नहीं किया।'
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