जब यह तय हुआ था कि महाराष्ट्र में बनने वाली सरकार में कांग्रेस शिवसेना के साथ साझेदारी करेगी तभी से इस ‘बेमेल’ रिश्ते को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। क्योंकि विचारधारा को लेकर दोनों दल एक-दूसरे के पूरी तरह उलट हैं। हिंदू महासभा के नेता सावरकर को ‘भारत रत्न’ देने का समर्थन करने वाली और उन्हें देवता तुल्य बताने वाली शिवसेना कैसे सावरकर को गद्दार कहने वाली कांग्रेस के साथ सरकार चला पायेगी, इसे लेकर लोग लगातार सवाल पूछ रहे थे। बीजेपी के नेता कहते थे कि यह सरकार छह महीने में ही गिर जाएगी लेकिन यहां तो बहुमत साबित करने के 15 दिन के भीतर ही घमासान वाले हालात हो गए हैं और इसे लेकर बीजेपी से लेकर बाक़ी दल कांग्रेस पर जमकर तंज कस रहे हैं।