बीएसपी प्रमुख मायावती ने अमेठी और रायबरेली में मतदान के एक दिन पहले ऐन मौक़े पर राहुल और सोनिया गाँधी को वोट देने की अपील करके इन दोनों संसदीय क्षेत्रों के बसपा–सपा कार्यकर्ताओं के मन में जो कुछ हिचक थी उसे भी दूर कर दिया।
मायावती ने 5 मई की सुबह बसपा-सपा कार्यकर्ताओं के लिए एक अपील में कहा, 'हमने देश में, जनहित में, ख़ासकर बीजेपी-संघवादी ताक़तों को कमज़ोर करने के लिए यूपी में अमेठी-रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी। ताकि इसके दोनों सर्वोच्च नेता इन्हीं सीटों से फिर से चुनाव लड़ें और इन दोनों सीटों में ही उलझ कर न रह जाएँ। और फिर कहीं बीजेपी इसका फ़ायदा यूपी के बाहर कुछ ज़्यादा ना उठा ले। इसे ख़ास ध्यान में रखकर ही हमारे गठबंधन ने दोनों सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी थीं। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे गठबंधन का एक-एक वोट हर हालत में दोनों कांग्रेस नेताओं को मिलने वाले हैं।'
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती की इस अपील का असर न केवल रायबरेली और अमेठी में होगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की उन सभी सीटों पर भी होगा जहाँ अभी चुनाव होने हैं।
मायावती की इस अपील से यह संदेश चला गया है कि सपा-बसपा और कांग्रेस में अंदरूनी सहमति है। जहाँ बसपा या सपा के प्रत्याशी मज़बूत हैं वहाँ कांग्रेस कमज़ोर प्रत्याशी खड़ा करके उनकी मदद कर रही है। जहाँ कांग्रेस के प्रत्याशी मज़बूत हैं वहाँ सपा व बसपा मदद कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के विरुद्ध भी इसीलिए सपा व बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा है और 5 मई को इन दोनों को जीताने की अपील भी बसपा प्रमुख ने कर दी।
क्या बीजेपी को होगा नुक़सान?
मायावती की इस अपील से अमेठी और रायबरेली के बीजेपी प्रत्याशियों को बहुत नुक़सान व कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों को बहुत फ़ायदा होगा। अब बसपा व सपा के प्रत्याशी अमेठी में राहुल गाँधी तथा रायबरेली में सोनिया गाँधी को एकजुट होकर वोट देंगे। यदि बीजेपी ने कुछ गड़बड़ की तो सपा व बसपा के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आयेंगे। वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि मायावती की अपील से राहुल गाँधी की जीत ‘पक्की’ तो हो ही गई, उनको पहले से अधिक वोट भी मिलेंगे। 2014 में अमेठी और रायबरेली में बसपा ने प्रत्याशी खड़े किये थे। उनको जो वोट मिले थे, लगभग वे सभी वोट इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशियों को चले जायेंगे। इस कारण संभव है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विश्वासपात्र बीजेपी प्रत्याशी स्मृति जुबिन ईरानी को 2014 से भी कम वोट मिलें।
रही बात रायबरेली में सोनिया गाँधी की तो वह पहले से ही जीत के प्रति आश्वस्त थीं, लेकिन उनके वोट अब और भी बढ़ सकते हैं। एआईसीसी सदस्य अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि बसपा प्रमुख मायावती के इस अपील से केवल अमेठी व रायबरेली में ही नहीं, पूरे प्रदेश में बहुत ही सकारात्मक संदेश गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने जो कहा था उसकी अपरोक्ष रूप से पुष्टि भी हो गई। इसका असर बाक़ी बची लोकसभा सीटों के चुनाव पर बहुत पड़ेगा। इस बारे में बीजेपी कार्यकर्ता अजय मुन्ना का कहना है कि बीजेपी ने भी दलितों में अच्छी पकड़ बना ली है, लेकिन मायावती की अपील का असर चाहे कम या अधिक हो, होगा ज़रूर।
स्मृति के लिए मुश्किल?
गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरि देसाई का कहना है कि अमेठी व रायबरेली में मतदान के एक दिन पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के पक्ष में अपील करके बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी को हराने का पुख्ता इंतज़ाम कर दिया। यह राहुल गाँधी के लिए ख़ुशी और स्मृति ईरानी के लिए गम साबित हो सकता है। 2014 के चुनाव में अमेठी में बसपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र प्रताप सिंह को 57,716 वोट मिले थे। इस बार मायावती की अपील के कारण लगभग वे सभी वोट राहुल गाँधी को मिल सकते हैं। इसी तरह से 2014 में रायबरेली में बसपा प्रत्याशी को 63,633 वोट मिले थे। बसपा के वे वोट इस बार सोनिया गाँधी को मिलेंगे। इस तरह से स्मृति को जीताने की मोदी–शाह की कोशिश को मायावती ने काफ़ी हद तक पलीता लगा दिया है।
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