वैज्ञानिकों और केंद्र सरकार की ओर से बार-बार ये भरोसा दिलाने के बाद भी कि कोरोना की दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं, लोग वैक्सीन लगवाने से हिचक रहे हैं। इसके पीछे ऐसी कुछ घटनाएं जिम्मेदार हैं, जिनमें वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ी है।
मुरादाबाद में कोरोना वैक्सीन की डोज लगवाने के 24 घंटे के भीतर महिपाल सिंह नाम के वार्ड ब्वॉय की मौत हो गई। 46 साल के महिपाल की मौत रविवार शाम को हुई। हालांकि मुरादाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) का कहना है कि महिपाल की मौत का वैक्सीन से कोई लेना-देना नहीं है जबकि परिजनों का आरोप है कि टीका लगने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।
महिपाल के बेटे विशाल ने कहा, ‘वैक्सीन लगवाने के बाद दिन में 1.30 बजे पापा बाहर निकले। मैं उनको घर लेकर आया। पापा की सांस फूल रही थी और वे खांस रहे थे। उन्हें थोड़ा सा निमोनिया था और खांसी-जुकाम था। वैक्सीन लगने के बाद उन्हें ज़्यादा तकलीफ़ होने लगी।’
मुरादाबाद के सीएमओ एमसी गर्ग ने कहा, ‘महिपाल को शनिवार को दिन में वैक्सीन लगाई गई थी। उन्होंने रात में नाइट ड्यूटी की थी और कोई समस्या नहीं थी। इसके बाद रविवार को उन्हें सीने में दर्द और सांस फूलने की तकलीफ़ हुई थी। हम उनकी मौत के कारण की जांच कर रहे हैं। ऐसा नहीं लगता है कि वैक्सीन ने किसी तरह का रिएक्शन किया।’ सरकार का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हुई है।
भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू हुआ। पहले ही दिन केवल दिल्ली में ही 51 ऐसे मामले सामने आए जिन्हें वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों को कुछ दिक़्कतें हुईं। इनमें से एक शख़्स को एम्स के आईसीयू में एडमिट कराना पड़ा। महाराष्ट्र में पहले दिन टीकाकरण के बाद सात लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
447 लोगों को हुई दिक्क़त
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि टीकाकरण के दूसरे दिन यानी रविवार को 17 हज़ार लोगों को वैक्सीन लगाई गई। मंत्रालय ने कहा कि अब तक देश भर में कुल 447 लोगों को इससे दिक्क़त होने की ख़बर आई है और इनमें से तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। ऐसी ही ख़बरें देश में कई और जगहों से आ रही हैं।
केंद्र सरकार के मुताबिक़, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में ही 30 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स से की गई है और सबसे पहले ऐसे 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है।
भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इनमें से एक को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऐस्ट्राज़ेनेका ने तैयार किया है जिसका नाम कोविशील्ड है जबकि दूसरी को भारत बायोटेक ने और इसका नाम कोवैक्सीन है। टीकाकरण अभियान की शुरुआत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही दोनों वैक्सीन को स्वीकृति दी है इसलिए लोग अफ़वाहों से दूर रहें।
कोवैक्सीन को लेकर हुआ था विवाद
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल यानी परीक्षण के बाद भोपाल में एक वालंटियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद काफी विवाद हुआ था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसके परीक्षण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी।भोपाल के टीला जमालपुरा क्षेत्र के सूबेदार कालोनी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर दीपक मरावी को 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगाया गया था। मरावी की पत्नी का आरोप है कि कोवैक्सीन का ट्रायल टीका लगाने से पहले तक उसके पति सेहतमंद थे लेकिन ट्रायल के बाद से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी थी। नौ दिनों के बाद 21 दिसंबर को दीपक की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
मध्य प्रदेश में कई वालंटियर्स सामने आये थे जिन्हें टीके के परीक्षण के बाद स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां हुई थीं। आरोप है कि अंधेरे में रखते हुए आधा दर्जन बस्तियों में लगभग 700 ग़रीब लोगों पर टीके का परीक्षण किया गया। पीड़ितों ने बताया था कि टीका लगने के बाद से उन्हें भूख नहीं लगने, चक्कर आने, सिर दर्द, आंसू आने, कमर दर्द, वजन कम होने और पेट दर्द जैसी दिक्क़तें हो रही हैं।
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