उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराये गये बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतार दिया है। संगीता सेंगर को पंचायत चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। जाहिर है कि यह काम कुलदीप सेंगर के राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए किया गया है क्योंकि सेंगर का इस इलाक़े में काफी राजनीतिक रसूख माना जाता है।
सेंगर को उन्नाव दुष्कर्म मामले की पीड़िता के पिता की मौत के मामले में भी दस साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। सेंगर को ग़ैर इरादतन हत्या और आपराधिक साज़िश रचने के मामले में दोषी ठहराया गया था।
कुलदीप सिंह सेंगर के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने कुलदीप सेंगर से सीतापुर जेल में मुलाक़ात की थी। इस इलाक़े में सेंगर के ‘चेलों’ का भी बहुत ख़ौफ़ है।
दुष्कर्म पीड़िता ने सेंगर पर आरोप लगाया था कि जून, 2017 में जब वह नौकरी माँगने विधायक के आवास पर गई थी तो सेंगर ने उसके साथ बलात्कार किया था। पीड़िता के परिवार ने कहा था कि बलात्कार मामले में विधायक और उसके साथियों ने पुलिस में शिक़ायत नहीं करने के लिए उन पर दबाव बनाया था।
विधायक के भाई अतुल सिंह सेंगर व उसके साथियों ने पीड़िता के पिता के साथ मारपीट की थी और इसके बाद पुलिस हिरासत में पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी। मौत से पहले पीड़िता के पिता का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि विधायक के भाई और उसके गुर्गों ने उन्हें पीटा था।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी इस बार अपने सिंबल पर चुनाव लड़ रही है। इसे 8 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी तैयारियों को मजबूत करने के इरादे से उठाया गया क़दम माना जा रहा है। किसान आंदोलन के कारण भी पार्टी को डर है कि चुनाव में ना जाने क्या होगा।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली बीजेपी ने आख़िर कुलदीप सेंगर के परिवार से किसी को भी टिकट दिया ही क्यों। इसका मतलब बीजेपी के लिए सिर्फ जीत अहम है और इसके आगे वह सब कुछ भूल जाती है।
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