कांवड़ यात्रा को देखते हुए नोएडा में माँस की दुकानें बंद रखने के लिए कहा गया है। हालाँकि, अधिकारियों के हवाले से कहा जा रहा है कि ये निर्देश काँवड़ यात्रा वाले मार्ग की दुकानों पर ही लागू होंगे। सवाल है कि आख़िर ये निर्देश किस वजह से दिए गए हैं? क्या इस तरह के निर्देश के प्रावधान हैं?
यह सवाल अधिकारियों के लिए चुभने वाला हो सकता है, इसलिए उन्होंने इसके लिए जवाब भी क़ानून के हिसाब से दिया है। अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय समुदायों के बीच शांति बनाए रखने के लिए लिया गया है। तो सवाल है कि क्या मांस की दुकानों से शांति बाधित होती है? यदि ऐसा है तो यह काफी अजीबोगरीब लग सकता है। क्योंकि देश भर में साल भर ऐसी दुकानें खुली रहती हैं और साल भर कुछ न कुछ पूजा भी होती रहती है।
रिपोर्ट के अनुसार सेक्टर 8 में बिरयानी स्टॉल चलाने वाले नज़ीर आलम ने कहा, 'स्टॉल चलाने के लिए नोएडा प्राधिकरण से विक्रेता लाइसेंस मिला है। मैं प्राधिकरण को किराए के रूप में प्रति माह 1,800 रुपये का भुगतान करता हूं। मेरा एक रेस्टोरेंट भी है जिसका किराया 10,000 रुपये महीना है। मुझे छह बच्चों की देखभाल करनी है। जब दुकानें बंद हैं तो हम अपना खर्च कैसे चलाएंगे? मैं अब बिहार में अपने गांव जा रहा हूं।'
वैसे, मांस विक्रेताओं की यह समस्या भी लंबी चलने वाली है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नोएडा के पुलिस उपायुक्त हरीश चंदर ने कहा है कि ऐसे आदेश आमतौर पर सावन के महीनों के दौरान लागू किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये निर्देश केवल तीर्थयात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों के लिए जारी किए गए हैं।
दिल्ली से ज्यादातर कांवड़िए मयूर विहार के पास चिल्ला रेड लाइट से नोएडा में प्रवेश करते हैं। अपनी वापसी पर वे सेक्टर 126 पुलिस स्टेशन से यमुना पुस्ता रोड से पक्षी विहार होते हुए दिल्ली में कालिंदी कुंज और सरिता विहार में प्रवेश करते हैं। इसके अलावा कुछ कांवड़िए छिजारसी, विजयनगर से गौर सिटी, पर्थला, सेक्टर 71, सेक्टर 60, सिटी सेंटर और सेक्टर 37 होते हुए दिल्ली में प्रवेश करते हैं।
पिछले साल भी गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने जिले में काँवड़ यात्रा के सभी मार्गों पर मांस और शराब की दुकानों को बंद करने का निर्देश दिया था।
वैसे, मुस्लिम इस बात को लेकर तब सवाल उठाते हैं जब सार्वजनिक पार्क जैसी जगहों पर नमाज पढ़ने से रोक दिया जाता है। पिछले कुछ सालों में नोएडा में यह मामला जोरशोर से उठता रहा था। इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन होता रहा था। 2018 में तब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया था कि 'यूपी पुलिस कांवड़ियों पर फूल बरसाती है, लेकिन कुछ मुसलमानों के हफ़्ते में एक दिन नमाज़ पढ़ लेने से इसे लगता है शांति और सद्भाव बिगड़ सकता है।' ओवैसी ने ट्वीट कर कहा था, 'इसका मतलब मुसलमानों से यह कहना है कि आप कुछ भी कर लें, ग़लती तो आपकी ही है।'
UP Cops literally showered petals for Kanwariyas, but namaz once a week can mean “disrupting peace & harmony”. This is telling Muslims: aap kuch bhi karlo, ghalti to aapki hi hogi.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 25, 2018
Also, by law, how does one hold an MNC liable for what their employees do in individual capacity? https://t.co/b90Jw5ZMHY
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