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कानपुरः जेसीबी ड्राइवर पर एक्शन से क्या गरीबों को इंसाफ मिलेगा

कानपुर देहात के रूरा थानाक्षेत्र के मडौली गांव में अवैध कब्जे को लेकर पुलिस की कार्रवाई में मां-बेटी की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम करा दिया गया है। पोस्टमॉर्टम के बाद शव को परिवार को सौंप दिया गया था। शव को परिवार को सौंपने के बाद उनके अंतिन संस्कार को लेकर काफी विवाद हुआ। परिवार अंतिम संस्कार गांव में ही करना चाह रहा था लेकिन प्रशासन किसी अप्रिय घटना के डर से अंतिम संस्कार के गांव से बाहर बिठूर में करना चाह रहा था। इसको लेकर काफी गहम-गहमी का माहौल रहा। बाद पुलिस अधीक्षक के समझाने पर परिवार बिठूर में अंतिम संस्कार को राजी हो गया।
मामले में एसडीएम मैंथा, थाना प्रभारी रूरा, लेखपाल, कानूनगो अशोक दीक्षित, अनिल दिक्षित,निर्मल दिक्षित, विशाल, जेसीबी ड्राइवर समेत कुल 42 लोगों पर 302, 307,436,429,323,34 धाराओं में मुकद्दमा दर्ज किया गया है। एसडीएम पर कार्रवाई करते हुए उनको तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है, जबकि लेखपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले में अभी तक सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई हुई है जबकि डीएम से लेकर तमाम आला अफसरों पर कार्पवाई नहीं की जा रही है। जेसीबी ड्राईवर. लेखपाल, कानूनगो को गिरफ्तार करने से पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिलेगा।
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बुधवार की सुबह दोनों ही महिलाओं का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम संस्कार में पुलिस ने दोनों शवों को कंधा देकर अपना मानवीय पक्ष दिखाने की भी कोशिश की। अंतिम संस्कार के लिए सारी तैयारियां पहले से की गईं थीं। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने जिले की सीमाओं को सील कर दिया और जिले में प्रवेश करने वालों की चेकिंग की गई।  
सोमवार की दोपहर करीब एक बजे तहसील के एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम फिर मड़ौली गांव पहुंची और और गोपाल का घर गिराने की कार्रवाई की। इस कार्रवाई से आहत होकर प्रमिला दीक्षित ने खुद को आग के हवाले कर दिया, इससे प्रमिला और उनकी बेटी नेहा की मौत हो गई थी।
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे थे कि ऐसी क्या जरूरत थी कि केवल एक व्यक्ति पर कारर्वाई के लिए पुलिस प्रशासनिक अमला पहुंच गया। और जह महिला खुद को आग के हवाले कर रही थी, तब पुलिस ने बचाव क्यों नहीं किया। शवों के अंतिम संस्कार के बाद भी सवाल बना हुआ है कि गोपाल कृष्ण दीक्षित का घर गिराने का आदेश किसकी तरफ से दिया गया था।
बीते जनवरी को उनका एक कमरे का पक्का मकान प्रशासन द्वारा घर गिराये जाने के बाद गोपाल अपने परिवार और अपने मवेशियों को लेकर डीएम के पास शिकायत दर्ज कराने पहुंचे थे। जहां से उन्हें दुत्कार कर वापस भेज दिया गया था। बाद में उनके खिलाफ मुकद्द्मा भी दर्ज किया गया था।
राज्य सरकार में मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने सवाल उठाते हुए कहा कि एक महीने पहले जब गोपाल कृष्ण का एक कमरे का पक्का घर गिराया था तब उन्होंने डीएम नेहा जैन से मामले को देखने के लिए कहा था, उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि वह मामले की जांच कराकर उचित कार्रवाई करेंगी। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।
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घटना से इतर शोसल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें जिले की डीएम और पुलिस अधीक्षक एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। इस वीडियो के बारे में कहा जा रहा है कि यह कानपुर देहात महोत्सव के कार्यक्रम का वीडियो है,जिसमें जिले के आला अफसर शामिल हुए थे। इस पर यहां के सासंद देवेंद्र भोले ने सवाल उठाया है कि इस महोत्सव का आयोजन किसने किया इसकी जांच होनी चाहिए। इसके लिए अधिकारियों ने चंदा भी इकट्ठा किया, जबकि अधिकारियों का काम चंदा इकट्ठा करना नहीं है। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।
कानपुर देहात की जिलाधिकारी नेहा जैन ने अपने ही अधीन पीसीएस अफसर,एडीएम राजस्व को मजिस्ट्रेट जांच के हुक्म दिए हैं। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मातहत अधिकारी अपने बॉस की जाँच कैसे करेगा। आरोप हैं कि नेहा जैन ने एसडीएम और पुलिस को दीक्षित की झोपड़ी गिराने भेजा था। जिसके चलते इतनी बड़ी घटना हुई।
पीड़ित परिवार की तरफ से 5 करोड़ के मुआवजा,  घर के दो सदस्यों की सरकारी नौकरी, परिवार को आजीवन पेंशन, मृतक के दोनों बेटों को सरकार की तरफ से आवास की मांग की गई है।  प्रशासन द्वारा परिवार को समझाने की नाकाम कोशिशों के बाद उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने परिवार से बात कर मामले को शांत कराया।
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क़मर वहीद नक़वी
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