कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान भी यूपी में पत्रकारों पर सरकारी कहर जारी है। बीते दो महीनों में कई पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आने के बाद अब यूपी के फतेहपुर ज़िले में इस तरह का मामला सामने आया है। ज़िले में लॉकडाउन के दौरान ग़रीबों के लिए चलाई जाने वाली कम्युनिटी किचन बंद होने की ख़बर ट्विटर पर चलाने वाले पत्रकार अजय भदौरिया व अन्य के ख़िलाफ़ ज़िला प्रशासन ने महामारी अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 505, 385, 188, 270 व 269 धारा में मुक़दमा दर्ज कर दिया। इतना ही नहीं, उक्त मामले में पत्रकारों पर आपराधिक षडयंत्र की धारा 120 बी में भी मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। प्रशासन का कहना है कि पत्रकार के ख़बर लिखने के बाद महामारी फैलने का गंभीर ख़तरा पैदा हो गया।
बीते दो महीने में सोशल मीडिया पर लिखी सामग्री को आपत्तिजनक मानते हुए यूपी सरकार 16 लोगों को जेल भेज चुकी है। सरकार के इस क़दम से नाराज़ पत्रकारों ने जमकर विरोध किया और फतेहपुर ज़िले से गुज़रने वाली गंगा व यमुना नदियों में उतर कर जल सत्याग्रह किया।
गंगा में खड़े होकर पत्रकार बोले- डीएम हटाओ
फतेहपुर ज़िले में डीएम के निर्देश पर पत्रकारों के ख़िलाफ़ लिखे गए मुक़दमे के विरोध में ख़ासी तादाद में ज़िले के पत्रकारों ने गंगा और यमुना नदियों में रविवार को उतर कर विरोध-प्रदर्शन किया। पूरे ज़िले में अलग-अलग जगहों पर पत्रकारों ने जल सत्याग्रह अनशन करते हुए ज़िला प्रशासन के ख़िलाफ़ घंटों नारेबाज़ी की। पत्रकारों ने क़रीब दो घंटे नदी में खड़े होकर जल सत्याग्रह किया, राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया और डीएम के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की। इसके साथ ही पत्रकारों पर दर्ज फ़र्ज़ी मुक़दमे भी वापस लेने की माँग की गई है।
ज़िला प्रशासन फतेहपुर की ओर से लिखाई गयी एफ़आईआर में कहा गया है कि पत्रकार अजय भदौरिया ने कम्युनिटी किचन के बंद हो जाने संबंधी ख़बर अपने ट्विटर पर चला दी जिससे अव्यवस्था फैल गयी। प्रशासन का कहना है कि कम्युनिटी किचन बंद होने की ख़बर से क्वॉरेंटीन सेंटरों, जहाँ पर इनसे खाना जाता था, वहाँ भगदड़ मच गयी। लोगों में खाना ख़त्म हो जाने व फिर न मिलने की आशंका से अफरा-तफरी फैली जिससे महामारी फैलने का डर बढ़ गया।
संबंधित पत्रकार अजय भदौरिया का कहना है कि उन्होंने हाल ही में फतेहपुर ज़िले के विजईपुर ब्लॉक के अंतर्गत रहने वाले नेत्रहीन दंपत्ति को लॉकडाउन के दौरान दी गयी ख़राब खाद्यान सामग्री का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था।
इस घटना से ज़िला प्रशासन के अधिकारी नाराज़ थे और फिर झूठे मामले में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। जिसके विरोध में पहले तो ज़िले के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर निष्पक्ष जाँच करवा दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर रविवार को जल सत्याग्रह व अनशन कर विरोध जताया।
ज़िले के पत्रकारों ने माँग की है कि पत्रकारों के ख़िलाफ़ लिखे गए मुक़दमों को वापस लिया जाए और संजीव कुमार का ट्रांसफर कर जाँच की जाए अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन चलता रहेगा।
सोशल मीडिया पर सरकार की नज़र
यूपी में कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान सरकार के ख़ास निशाने पर सोशल मीडिया है। अब तक प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने के आरोप में 1389 मामलों में कार्रवाई की है। सबसे ज़्यादा ज़ोर ट्विटर पर है जहाँ अकेले रविवार को ही सात मामलों में कार्रवाई करते हुए एफ़आईआर दर्ज कराई गयी है। अब तक सोशल मीडिया पर जारी ख़बरों को संज्ञान में लेते हुए प्रदेश सरकार 50 एफ़आईआर दर्ज करवा चुकी है। सबसे ज़्यादा 79 ट्विटर, 77 फ़ेसबुक, 47 टिकटॉक व एक वाट्सऐप अकाउंट को बंद कराया गया है। सोशल मीडिया को लेकर दर्ज मामलों में अब तक 16 लोगों को जेल भेजा जा चुका है।
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