उत्तर प्रदेश में फर्ज़ी नाम-पता और डिग्री पर पैसे लेकर शिक्षकों की नियुक्ति का बहुत बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। इसका पर्दाफाश तब हुआ जब यह बात सामने आई कि अनामिका शुक्ला नाम की एक महिला ने 25 ज़िलों में सरकारी नौकरी कर करोड़ों रुपये का वेतन उठा लिया। लेकिन अनामिका शुक्ला के नाम पर जिसे गिरफ़्तार किया गया, उसका असली नाम कुछ और निकला। शनिवार को अनामिका शुक्ला के नाम पर गिरफ़्तार की गयी जालसाज शिक्षिका का असली नाम प्रिया जाटव है।
अबूझ पहेली
अनामिका शुक्ला के नाम पर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों के कस्तूरबा विद्यालय में नौकरी कर वेतन निकालने का पर्दाफाश हुआ था। पुलिस के सामने अनामिका अब एक अबूझ पहेली बनती जा रही है।
पूरा मामला किसी बड़े खेल की ओर इशारा करता है, जहाँ किसी एक के नाम व प्रमाण पत्र पर कई लोगों को नौकरी देने और उसके एवज में पैसे लेने का गोरखधंधा चल रहा है।
जहाँ असली धंधेबाज अभी तक पकड़ से दूर हैं, वहीं पुलिस के सामने असली अनामिका का पता लगाने की चुनौती बनी हुई है। खेल खुलने के बाद प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जाँच के साथ सभी शिक्षकों का डाटाबेस तैयार उसे सत्यापित करने का आदेश दे दिया है।
शुक्ला और जाटव
बेसिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में काम करने वाले शिक्षकों का इसी साल डाटाबेस तैयार किया गया। डाटाबेस से इसका खुलासा हुआ कि अनामिका शुक्ला नाम की महिला को प्रदेश के 25 अलग-अलग स्कूलों में नौकरी पर रखा गया और हर जगह से उसके खाते में तनख़्वाह जा रही थी।
अनामिका शुक्ला के व्यक्तिगत विवरण एक ही थे जो अमेठी, आंबेडकरनगर, रायबरेली, प्रयागराज, अलीगढ़, कासगंज सहित 25 जिलों में शिक्षिका के तौर पर पंजीकृत थे।
हर ज़िले में उसके नाम से बैंक खाता भी खोला गया था जहाँ 25 हज़ार रुपये प्रतिमाह वेतन जाता था। यह सिलसिला बीते 20 महीनों से चल रहा था। इस मामले में गिरफ़्तारी शनिवार को कासगंज में हुई, जहाँ अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिका बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ़्तर में खुद ही त्यागपत्र देने आ गयी। पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो पूछताछ में उसका नाम प्रिया जाटव निकला।
और कितनी अनामिका?
कासगंज में अनामिका शुक्ला के नाम से नौकरी कर रही प्रिया जाटव की गिरफ़्तारी के बाद पुलिस तहकीक़ात कर रही है कि और कितने लोग इसी एक नाम के सहारे नौकरियाँ करते रहे।
जाँच टीम को शक है कि एक रैकेट चल रहा है जिसने एक अनामिका शुक्ला के दस्तावेज़ के आधार पर उसी नाम से अलग-अलग ज़िलों में लोगों को नौकरियाँ दिलवायीं और उनसे पैसे लिए हैं।
असली अनामिका शुक्ला जो कि मैनपुरी की बताई जाती है, अभी पकड़ में नहीं आ सकी है। यह भी हैरान करता है कि अनामिका शुक्ला नाम की महिला शिक्षका मैनपुरी में कस्तूरबा विध्यालय में काम नही कर रही है, बल्कि उसके दस्तावेज़ों पर फर्ज़ी अनामिका नौकरी करती रही हैं।
गोंडा में हुआ नौकरी का सौदा
कस्तूरबा विद्यालयों में फर्ज़ी दस्तावेज़ों पर नौकरी के खेल के तार गोंडा ज़िले से जुड़ रहे हैं। गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बी. एससी करते समय प्रिया जाटव की मुलाक़ात मैनपुरी के रहने वाले राज से हुयी, जिसने उसे एक लाख रुपये में नौकरी लगवाने का वादा किया।प्रिया के बी. एससी की पढ़ाई पूरी करते ही अगस्त 2018 में उसे नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र थमा दिया गया। पुलिस को प्रिया ने बताया कि उसे नियुक्ति पत्र देते समय बता दिया गया था कि वह अब से अनामिका शुक्ला के नाम से नौकरी करेगी।
इसके पीछे कारण बताया गया कि अनामिका शुक्ला के अंक हाईस्कूल व इंटर में 76 फ़ीसदी है और कस्तूरबा में मेरिट के आधार पर नौकरी लगती है।
बीजेपी सांसद का है रघुकुल विद्यापीठ
गोंडा के जिस महाविद्यालय रघुकुल विद्यापीठ में प्रिया शुक्ला को नौकरी देने के नाम पर डील हुई और उसे अनामिका शुक्ला बना नियुक्ति पत्र दिया गया, वह बीजेपी के एक बाहुबली सांसद का है जो समाजवादी पार्टी से भी लोकसभा पहुँच चुके हैं।
सांसद महोदय कभी बाहुबल के दम पर ठेकेदारी करते थे। पर लंबे समय से स्कूलों, कॉलेजों व प्रबंध संस्थाओं को चलवाने के धंधे में रम गए हैं। सांसद के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और फैजाबाद ज़िलों में 54 स्कूल, डिग्री कालेज वगैरह हैं जहाँ नर्सरी से लेकर ग्रुैजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट, पीएच. डी., लॉ, एमबीए, बी. एड व हर तरह की डिग्री दी जाती है।
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