कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच उत्तर प्रदेश में चुनाव कराए जाएं या नहीं, इसे लेकर चुनाव आयोग की टीम उत्तर प्रदेश के दौरे पर आई थी। आयोग ने बीते 3 दिन में कई राजनीतिक दलों के नेताओं, तमाम जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस अफसरों और निर्वाचन के काम से जुड़े अफसरों के साथ बैठक की और इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनाव कराने को लेकर कई लोगों से रायशुमारी की गई है। कई विभागों के सरकारी अफसरों के साथ भी आयोग ने बात की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि सभी राजनीतिक दल कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चुनाव कराना चाहते हैं। इसका मतलब उत्तर प्रदेश में चुनाव तय समय यानी फरवरी-मार्च में होंगे।
मतदाता सूची का प्रकाशन 5 को
चुनाव आयोग ने कहा कि 5 जनवरी को मतदाताओं की अंतिम सूची का प्रकाशन होगा हालांकि इसके बाद भी मतदाताओं के नाम जोड़े जा सकेंगे। चुनाव आयोग बूथों पर सभी जरूरी व्यवस्थाओं को करेगा। इससे पहले पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी चुनाव आयोग ने कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़े सभी जरूरी इंतजाम किए थे।
आयोग ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र ना होने के बाद भी पासबुक, पैन कार्ड, मनरेगा कार्ड सहित कई दस्तावेजों के जरिए लोग वोट डाल सकते हैं।
चुनाव आयोग की खास बातें
- अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन 5 जनवरी को।
- एक लाख मतदान केंद्रों पर लाइव वेब कास्टिंग होगी।
- 800 बूथ पर सिर्फ महिला कर्मचारी होंगी।
- मतदान का वक्त 1 घंटे बढ़ेगा।
लाइव वेबकास्टिंग होगी
आयोग ने कहा कि सभी बूथों पर ईवीएम होगी और इस बारे में जुड़ी आशंकाओं को भी दूर किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक लाख से ज्यादा मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग की व्यवस्था होगी जिससे चुनाव में पारदर्शिता हो और किसी भी तरह की गड़बड़ी ना हो सके।
वोट डालने का वक़्त बढ़ेगा
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि प्रदेश में अभी तक ओमिक्रॉन का ज्यादा असर नहीं है। आयोग ने फैसला लिया है कि कोरोना काल की वजह से मतदान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग रहेगी और इसलिए चुनाव में वोट डालने का वक्त एक घंटा बढ़ाया जाएगा।
कोर्ट ने की थी अपील
बता दें कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखकर इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि चुनाव कुछ वक्त के लिए टल सकते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी कहा था कि चुनाव आयोग कुछ वक्त के लिए उत्तर प्रदेश में चुनाव टाल दे। हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी चुनावी रैलियों पर रोक लगाने की अपील की थी।
बीते कुछ दिनों में ओमिक्रॉन का खतरा कई राज्यों तक पहुंच चुका है भारत में इससे संक्रमित होने वालों की रफ्तार को देखते हुए कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू का भी लगाया गया है। अगर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सख्ती से नहीं हुआ तो चुनाव के दौरान बहुत बड़ी संख्या में लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं।
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