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हार के कारण खोजने में जुटीं प्रियंका, 2022 पर है नज़र

कांग्रेस लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार की समीक्षा करने में जुटी हुई है। इसी सिलसिले में रायबरेली पहुँचीं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से हार के कारणों को जानने की कोशिश की।
प्रियंका गाँधी ने लोकसभा चुनाव में ख़राब प्रदर्शन को लेकर पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को जवाबदेह ठहराया है। प्रियंका ने रायबरेली में आयोजित पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में मंच से कहा, ‘मैं यहाँ कोई भाषण देना नहीं चाहती लेकिन फिर भी मुझे कहना पड़ेगा और मुझे सच्चाई कहने दीजिए। सच्चाई थोड़ी कड़वी लगेगी। इस चुनाव में रायबरेली की जनता ने सोनिया गाँधी को जिताया है। सच्चाई यह है कि इस चुनाव में जिन लोगों ने दिल से काम किया है, उसकी जानकारी आप को है और जिसने नहीं किया है, उनकी जानकारी मैं करूँगी।’ 
प्रियंका के रुख को देखकर माना जा रहा है कि वह पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के लिए ज़िम्मेदार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेंगी और पार्टी के ख़राब प्रदर्शन से बेहद नाराज़ हैं।
प्रियंका के नाराज़ होने का कारण यह भी माना जा रहा है कि इस बार सोनिया गाँधी की जीत के मतों का अंतर पिछली बार के मुक़ाबले आधा रह गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गाँधी को 3 लाख 52 हजार वोटों से जीत मिली थी। लेकिन इस बार उन्हें 1 लाख 67 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली है। इसके अलावा राहुल गाँधी भी गाँधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव हार गए हैं। इसे कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है और सवाल उठ रहा है कि ऐसे में कांग्रेस कैसे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ख़ुद को खड़ा कर पाएगी।
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बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गाँधी को कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने संकेत दिया था कि वह उत्तर प्रदेश में बीजेपी, बीएसपी और एसपी को कड़ी टक्कर देगी। सीटों के बँटवारे को लेकर बात न बनने पर कांग्रेस ने बीएसपी, एसपी और आरएलडी के गठबंधन से किनारा कर लिया था और प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था। 
चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गाँधी ने पूरे उत्तर प्रदेश में जमकर रैलियाँ, रोड शो किए थे और माना जा रहा था कि पार्टी 2014 के मुक़ाबले अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वह सिर्फ़ 1 सीट पर ही चुनाव जीत सकी।
इसी दौरे में सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव जीतने के लिए सभी मर्यादाएँ लांघ दी गईं और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सोनिया ने कहा कि देश की चुनावी प्रक्रिया को लेकर ‘कई तरह के संदेह’ पैदा हो गए हैं।

समीक्षा बैठक भी लेंगी प्रियंका

बताया जाता है कि हार के कारणों की समीक्षा और विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए प्रियंका गाँधी जल्द ही यूपी में सीटवार समीक्षा बैठकें करेंगी। ये बैठकें पूर्वी उत्तर प्रदेश के शहरों में होंगी। सबसे पहली समीक्षा बैठक इलाहाबाद में होगी।
टीम प्रियंका के सदस्यों के मुताबिक़, प्रियंका गाँधी ने डाटा बैंक बनाने को कहा है। इस डाटा बैंक में प्रत्याशी को इस बार और पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिले वोटों का ब्यौरा, विधानसभा सीटों के हिसाब से उनका वर्गीकरण, कमज़ोरियाँ, प्रचार के तरीक़े से लेकर स्थानीय संगठन की भूमिका को लेकर जानकारियाँ जुटाने को कहा है।

प्रियंका इलाहाबाद और वाराणसी में दो समीक्षा बैठकें करेंगी जबकि तीसरी बैठक राजधानी लखनऊ में होगी। इन समीक्षा बैठकों में हारे हुए प्रत्याशी के साथ, सीट प्रभारी, स्थानीय संगठन के पदाधिकारी, संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और पूर्व सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, ज़िला पंचायत सदस्य, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी आदि मौजूद रहेंगे।
क़रारी हार मिलने के बाद भी प्रियंका ने हार नहीं मानी है और वह न केवल उत्तर प्रदेश की हारी हुई सीटों की गहन समीक्षा करवा रही हैं, बल्कि संगठन मज़बूत करने की ओर भी ख़ासा ध्यान दे रही हैं।

संगठन को दी जाएगी धार

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। हालाँकि उन्हें अभी पद पर बने रहने और काम करने के लिए कहा गया है लेकिन बताया जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है। टीम प्रियंका के सदस्यों की मानें तो प्रदेश में एक नए चेहरे को लाया जा सकता है। प्रियंका गाँधी ने लोकसभा चुनावों में कमज़ोर प्रदर्शन और ‘न्याय योजना’ के ज़मीन तक न पहुँचने का बड़ा कारण लचर संगठन को माना है।
इसलिए यह तय है कि आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस एकदम नये कलेवर में नज़र आएगी। कांग्रेस नेताओं की मानें तो उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उप-चुनावों में और नए नेताओं को मौक़ा देने तक, कांग्रेस अब संगठन से लेकर प्रत्याशियों के मामले में प्रयोग करने से पीछे नहीं हटेगी।
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कुल मिलाकर प्रियंका ने पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बेहद गंभीर हैं और हार मिलने के बाद भी निराश नहीं हैं। अपने दौरे के दौरान प्रियंका ने पार्टी कार्यकर्ताओं से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे हार से हताश न हों और पूरी ऊर्जा पार्टी के प्रचार-प्रसार में लगा दें। अगर प्रियंका और राहुल कांग्रेस के संगठन को फिर से खड़ा करने में सफल होते हैं तो 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकती है लेकिन जिस तरह की प्रचंड जीत बीजेपी को लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली है, उससे यह करना इतना आसान नहीं होगा।
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क़मर वहीद नक़वी
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