लखनऊ में एफ़आईआर
गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशन की शिकायत पर लखनऊ पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की और उसके तुरन्त बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की सीबीआई जाँच की सिफ़ारिश कर दी। इसके 24 घंटे के अंदर ही केंद्र सरकार ने सीबीआई से जाँच करने को कहा और इस एजेंसी ने तुरन्त मामला दर्ज कर लिया। क्या यह महज संयोग है कि बीजेपी-शासित राज्य में दायर एक शिकायत पर इतनी तेजी से घटनाक्रम हुआ?मुंबई से लखनऊ!
मुंबई पुलिस के प्रमुख परमवीर सिंह ने कुछ दिन पहले बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि 'इन चैनलों के बैंक खातों की जाँच की जाएगी और इसकी पड़ताल की जाएगी कि उनके खातों में जमा पैसे विज्ञापनों से मिले हैं या आपराधिक गतिविधियों से हुई कमाई है।'“
“रेटिंग को मनमर्जी तरीके से दिखाने के लिए घरेलू आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया, इन चैनलों को ग़ैरक़ानूनी विज्ञापन फंड से पैसे मिले हैं। इसे फ़र्जीवाड़े से मिला पैसा माना जाएगा।”
परमवीर सिंह, मुंबई पुलिस के प्रमुख
रिपब्लिक टीवी से पूछताछ
मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले में रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी से पूछताछ की थी। खानचंदानी के अलावा सीएफ़ओ शिव सुब्रह्मण्यम सुंदरम सहित छह लोगों को समन भेजा गया था।अर्णब गोस्वामी ने यह भी दावा किया था कि उनके चैनल को इसलिए घसीटा जा रहा है क्योंकि इसने सुशांत सिंह राजपूत मामले की रिपोर्टिंग की। उन्होंने पुलिस को कोर्ट में घसीटने की चेतावनी भी दी थी।
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